नई दिल्ली। इथियोपिया के ज्वालामुखी से उठी 25–45 हजार फीट ऊंची राख दिल्ली, राजस्थान और उत्तर भारत तक पहुंच गई है। कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द या डायवर्ट हुई हैं। दिल्ली में आनंद विहार, एम्स-सफदरजंग के पास जहरीला स्मॉग (Smog) छाया है और एक्यूआई 400 के पार पहुंच गया है। डीजीसीए (DGCA) ने एयरलाइंस को राख वाले क्षेत्रों से बचने की सलाह दी है।
हैली गब्बिन ज्वालामुखी का विशाल राख बादल
इथियोपिया के हैली गब्बिन ज्वालामुखी के विस्फोट के बाद उठी राख का विशाल बादल 25,000-45,000 फीट की ऊंचाई पर भारत तक पहुंच गया है, जिससे दिल्ली, राजस्थान (Rajasthan) और उत्तर भारत के बड़े हिस्सों में इसका असर दिखने लगा है।
दिल्ली में AQI 400 पार, दृश्यता घटी
राजधानी दिल्ली में कई इलाकों में एक्यूआई 400 के पार पहुंच गया और जहरीला स्मॉग छा गया है। आनंद विहार, एम्स और सफदरजंग के आसपास दृश्यता कम हो गई है।
उड़ानों पर भारी असर—कई फ्लाइटें रद्द
ज्वालामुखी राख के कारण अकासा एयर, इंडिगो और कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के रूट बदले गए हैं, कुछ उड़ानें रद्द भी हुई हैं। डीजीसीए ने एयरलाइंस को चेतावनी जारी कर राख वाले क्षेत्रों और ऊंचाइयों से दूर उड़ान भरने, रूट बदलने और इंजनों की जांच करने को कहा है।
एयर इंडिया ने एहतियात में कई उड़ानें रद्द कीं
हायली गुब्बी ज्वालामुखी विस्फोट के बाद प्रभावित क्षेत्रों के ऊपर से गुज़रे विमानों की एहतियाती जांच के कारण एयर इंडिया ने कई उड़ानें रद्द कर दी हैं। सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए एयरलाइन ने यह कदम उठाया है।
25 नवंबर को रद्द हुई उड़ानें
- एआई 2822 – चेन्नई- मुंबई
- एआई 2466 – हैदराबाद- दिल्ली
- एआई 2444 / एआई 2445 – मुंबई- हैदराबाद- मुंबई
- एआई 2471 / एआई 2472 – मुंबई- कोलकाता- मुंबई
10,000 साल बाद फटा हायली गुब्बी ज्वालामुखी
इथियोपिया का हायली गुब्बी ज्वालामुखी लगभग 10,000 साल बाद फट गया है। राख का विशाल गुबार 10 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक उठ गया। वैज्ञानिकों के अनुसार यह दुर्लभ प्राकृतिक घटना है।
मौसम विभाग का अलर्ट—राख गुजरात से भारत में प्रवेश करेगी
मौसम विभाग के मुताबिक राख का बादल गुजरात से भारत में प्रवेश करेगा और फिर राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर भारत के कई इलाकों की ओर बढ़ेगा। इससे आसमान ज्यादा धुंधला दिख सकता है।
100–120 किमी/घंटा की रफ्तार से बढ़ रहा राख का बादल
राख में सल्फर डाइऑक्साइड, कांच और चट्टानों के छोटे कण मौजूद हैं। यह बादल 100–120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उत्तर भारत की ओर बढ़ रहा है।
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