दोहा पर इज़राइली एयरस्ट्राइक से खाड़ी में बढ़ा तनाव
9 सितंबर 2025 की शाम कतर की राजधानी दोहा (Doha) अचानक ज़ोरदार धमाकों से दहल उठी। शहर के आलीशान वेस्ट बे इलाके में यह धमाके किसी गैस पाइपलाइन (Gas Pipe Line) या हादसे के नहीं थे, बल्कि इज़राइली फाइटर जेट्स से दागी गई मिसाइलों के थे। निशाना था—हमास नेताओं की वह बैठक, जहाँ ग़ाज़ा युद्धविराम पर चर्चा चल रही थी।
यह हमला अपने आप में ऐतिहासिक था, क्योंकि इज़राइल ने पहली बार कतर की ज़मीन पर सीधा हमला किया। इससे खाड़ी देशों और पूरी दुनिया में भूचाल आ गया।
हमला और उसके नतीजे
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इज़राइल ने 15 फाइटर जेट्स और उन्नत स्टील्थ हथियारों का इस्तेमाल किया। कतर की वायु रक्षा प्रणाली हमले को पकड़ ही नहीं पाई। छह लोगों की मौत हुई—जिनमें हमास नेताओं के सुरक्षा कर्मी और कतर का एक अधिकारी भी शामिल था।
हालांकि, इज़राइल का असली निशाना यानी शीर्ष हमास नेता खलील अल-हय्या बच निकले। यही वजह है कि हमले का राजनीतिक असर ज्यादा बड़ा माना जा रहा है।
कतर की प्रतिक्रिया
कतर सरकार ने इसे अपनी संप्रभुता पर हमला बताया और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शिकायत दर्ज कराई। सरकार ने कहा, “यह कायराना कदम है, जिसने अंतरराष्ट्रीय कानून को तोड़ा है।”
हालांकि शुरुआत में संकेत मिले कि कतर मध्यस्थता से पीछे हट सकता है, लेकिन बाद में प्रधानमंत्री ने साफ किया कि देश शांति वार्ताओं से अलग नहीं होगा।
दुनिया की प्रतिक्रियाएँ
- संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि यह हमला “अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन है” और तुरंत युद्धविराम की अपील की।
- ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने इसे कतर की संप्रभुता का खुला उल्लंघन बताया।
- रूस ने इसे “यूएन चार्टर का घोर उल्लंघन” कहकर कड़ी निंदा की।
- अमेरिका ने सफाई दी कि हमले से पहले उन्हें जानकारी थी, लेकिन इसमें कोई भूमिका नहीं थी। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यह कदम “न तो इज़राइल और न ही अमेरिका के हित में है।”
क्या जंग छिड़ सकती है?
विशेषज्ञ मानते हैं कि कतर की सैन्य क्षमता इज़राइल के मुकाबले बहुत कमजोर है। इज़राइल के पास न्यूक्लियर हथियार, F-35 जेट्स और उन्नत मिसाइल रक्षा प्रणाली है, जबकि कतर ज्यादातर बाहरी गठबंधनों पर निर्भर है। इसलिए सीधी जंग की संभावना फिलहाल कम है।
हाँ, यह हमला खाड़ी क्षेत्र की राजनीति और कूटनीति को हिला देने वाला है। ग़ाज़ा युद्धविराम की राह और भी कठिन हो गई है।
ये भी पढ़ें