बीजिंग । भारत, चीन और रूस वे देश हैं, जो इस वक्त डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के निशाने पर हैं। रूस पर उसने पहले ही प्रतिबंध लगा रखे हैं, भारत को अपनी शर्तों पर झुकाने की कोशिश कर रहा है और चीन को रूस से तेल व्यापार के चलते टैरिफ और सैंक्शंस की धमकियां मिल रही हैं। ऐसे में इन तीनों महाशक्तियों को कहीं न कहीं एक साथ आने के लिए अमेरिका ने ही मजबूर किया है। अमेरिका (America) के टैरिफ वॉर के बाद तीनों देशों के बीच एक स्वाभाविक गठबंधन बना है, जो अमेरिका को ये आईना दिखाने के लिए काफी है कि वो दुनिया का बादशाह नहीं है
ब्रिक्स देशों का सख्त रुख
खासतौर पर ब्रिक्स देशों ने डोनाल्ड ट्रंप के आगे झुकने से बिल्कुल मना कर दिया है। ऐसे में भारत, चीन और रूस की भूमिका और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है।
एससीओ बैठक से बड़ी तस्वीर
शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन की मीटिंग (Meeting) से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसने न सिर्फ ट्रंप बल्कि पश्चिमी देशों को भी बेचैन कर दिया। जिस सहयोग को कमजोर करने के लिए उन्होंने भरसक कोशिश की, वही अब और मजबूत होता दिखाई दे रहा है।
एशिया की तिकड़ी का उदय
एशिया की राजनीति लंबे समय से जिस पल का इंतजार कर रही थी, वो अब सामने है। भारत, चीन और रूस की यह तिकड़ी अमेरिकी दादागिरी को चुनौती देने में सक्षम है। चीन के तियानजिंग में जब भारत और चीन के नेता मिले, तो पूरी दुनिया देखती रह गई। फिर रूस के जुड़ने से तस्वीर और ताकतवर हो गई। तीनों नेता हंसते हुए दिखे, जिसे देखकर अमेरिका की चिंता बढ़ना लाजमी है।
भारत-चीन रिश्तों में रूस की भूमिका
हालांकि भारत और चीन के रिश्ते सीमा विवाद के चलते हमेशा तल्ख रहे हैं। गलवान विवाद के बाद हालात और बिगड़े थे। लेकिन रिश्तों को सामान्य करने और बातचीत की राह खोलने में रूस ने अहम भूमिका निभाई है।
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