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Latest Hindi News : राजा से रहता है सीधा संवाद, इसलिए भूटान में नहीं होती हिंसा या जनआंदोलन

Anuj Kumar
Anuj Kumar
Latest Hindi News : राजा से रहता है सीधा संवाद, इसलिए भूटान में नहीं होती हिंसा या जनआंदोलन

नई दिल्ली । जब नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान (Pakistan) और श्रीलंका राजनीतिक अस्थिरता और जनआंदोलनों से जूझते रहे, उसी दौरान भूटान अपवाद बना रहा। हिमालय की गोद में बसा यह छोटा सा देश हैप्पीनेस इंडेक्स में ऊपर दिखाई देता है और यहां सड़कों पर शायद ही कभी बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन होते हैं।

राजशाही की दूरदृष्टि ने लोकतंत्र की नींव रखी

भूटान (Bhutan) में 2008 तक पूरा शासन राजा के हाथों में था। चौथे राजा जिग्मे सिंगये वांगचुक ने लोकतंत्र की नींव रखी। उनके ऊपर कोई दबाव नहीं था, लेकिन उन्होंने नेपाल जैसे हालातों से सबक लेते हुए खुद सत्ता साझा करने का फैसला किया। संविधान बना, चुनाव हुए और लोकतंत्र शांतिपूर्वक स्थापित हो गया।

राजा और सरकार: संतुलित सत्ता

भूटान में राजा आज भी बेहद लोकप्रिय हैं। वे हेड ऑफ स्टेट बने रहते हैं, लेकिन रोजमर्रा का शासन निर्वाचित सरकार चलाती है। संकट के समय जनता और सरकार दोनों ही राजा की ओर देखते हैं। इस कारण वहां सत्ता परिवर्तन के लिए हिंसक आंदोलन नहीं होते।

सांस्कृतिक एकरूपता और सामाजिक स्थिरता

भूटान की आबादी कम है और यहां बौद्ध धर्म प्रचलित है। साझा सांस्कृतिक पहचान और परंपराएं लोगों को जोड़कर रखती हैं। इसके विपरीत नेपाल और श्रीलंका जैसे देशों में विविधता और जातीय तनाव राजनीतिक अस्थिरता की जड़ बने।

प्रेस और अभिव्यक्ति पर नियंत्रण

भूटान में प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सीमित है। सरकार और राजशाही की आलोचना आसान नहीं। स्थानीय मीडिया छोटा है और वित्तीय रूप से सत्ता पर निर्भर है। सोशल मीडिया (Social Media) पर भी निगरानी रहती है। आलोचकों के अनुसार असहमति की आवाज दबा दी जाती है।

राजाओं का जनता के बीच संवाद

भूटान के राजाओं ने जनता के बीच जाकर सीधे संवाद किया। गांवों में जाकर लोगों की समस्याएं सुनना और संकट के समय मदद करना, उनकी लोकप्रियता का मुख्य कारण बना। लोग असंतोष व्यक्त करने के लिए सड़कों पर उतरने के बजाय राजा पर भरोसा करते हैं।

भूटान में स्थिरता के मुख्य कारण

भूटान में स्थिरता की वजह राजशाही की दूरदृष्टि, लोकतंत्र का शांतिपूर्ण अंगीकरण, सामाजिक-सांस्कृतिक एकरूपता और मजबूत सेंसरशिप है। आलोचक कहते हैं कि यह शांति आंशिक है और सेंसरशिप की कीमत पर हासिल हुई है। इसके बावजूद भूटान अब तक उस प्रोटेस्ट कल्चर से बचा है, जिसने भारत के पड़ोसी देशों को हिला दिया है और सत्ता परिवर्तन भी हुआ है।

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