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USA : अमेरिका-पाकिस्तान में 50 करोड़ डॉलर का खनिज समझौता

Anuj Kumar
Anuj Kumar
USA : अमेरिका-पाकिस्तान में 50 करोड़ डॉलर का खनिज समझौता

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने रूसी तेल खरीदने की वजह से पिछले महीने भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी का टैरिफ लगाया है। इसके बाद से दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव जारी है। इसी बीच अमेरिका ने पाकिस्तान (Pakistan) से निवेश बढ़ाना शुरु कर दिया है। अमेरिका की एक धातु कंपनी ने पाकिस्तान के साथ 50 करोड़ डॉलर के खनिज निकासी से जुड़े निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

खनिज रिफाइनरी स्थापित होगी

पाकिस्तान के फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन, जो महत्वपूर्ण खनिजों का सबसे बड़ा खननकर्ता है, उसने मिसौरी स्थित यूएस स्ट्रैटेजिक मेटल्स के साथ सहयोग योजनाओं के लिए एक समझौता पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के मुताबिक पाकिस्तान में एक पॉली-मेटैलिक रिफाइनरी स्थापित की जाएगी।

अन्य देशों से भी करार

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक अन्य समझौते में पाकिस्तान के नेशनल लॉजिस्टिक्स कॉर्पोरेशन के साथ पुर्तगाल की इंजीनियरिंग और निर्माण कंपनी मोटा-एंगिल ग्रुप के बीच हस्ताक्षर हुए हैं। पीएम शहबाज शरीफ के दफ्तर की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उन्होंने अमेरिकी स्ट्रेटेजिक मेटल्स और मोटा-एंगिल ग्रुप के प्रतिनिधिमंडल के साथ पाकिस्तान के तांबे, सोने, दुर्लभ मृदा और अन्य खनिज संसाधनों पर बातचीत की है।

खनिज संसाधनों का निर्यात होगा तेज

बयान में आगे कहा गया है कि यह साझेदारी पाकिस्तान से आसानी से उपलब्ध खनिजों, जिनमें एंटीमनी, तांबा, सोना, टंगस्टन और दुर्लभ मृदा तत्व शामिल हैं, उसके निर्यात के साथ तुरंत शुरू होगी। अमेरिकी दूतावास ने भी एक बयान में कहा है कि यह हस्ताक्षर अमेरिका-पाकिस्तान द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती का एक और उदाहरण है जिससे दोनों देशों को लाभ होगा।

शरीफ की बड़ी उम्मीदें और चिंताएं

बता दें इस साल की शुरुआत में पीएम शहबाज शरीफ (Sahbaz Shariff) ने दावा किया था कि पाकिस्तान के पास खरबों डॉलर मूल्य के खनिज भंडार हैं। उन्होंने कहा था कि अगर खनिज क्षेत्र में विदेशी निवेश होता है तो उनका देश कंगाली और वित्तीय संकट से उबर सकता है। लेकिन शरीफ की चिंता यह है कि पाकिस्तान की अधिकांश खनिज संपदा उग्रवाद प्रभावित बलूचिस्तान प्रांत में है।

बलूचिस्तान की चुनौती और अलगाववादी खतरा

शहबाज की चिंता यह भी है कि अलगाववादी संगठन विदेशी कंपनियों के खनन प्रोजेक्ट्स का विरोध कर सकते हैं। अगस्त में अमेरिकी विदेश विभाग ने बलूचिस्तान नेशनल आर्मी और उसकी लड़ाकू शाखा मजीद ब्रिगेड को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया था।

चीन से रिश्तों पर असर का डर

वहीं दूसरी बड़ी चिंता चीन है। चीन और अमेरिका के बीच पहले से ही व्यापार और प्रभाव को लेकर तनातनी है। ऐसे में पाकिस्तान को डर है कि अमेरिकी निवेश से चीन नाराज न हो जाए, क्योंकि चीन आज भी पाकिस्तान का सबसे बड़ा निवेशक है और उस पर भारी कर्ज भी है। अगर चीन ने दूरी बनाई तो शरीफ सरकार के लिए हालात और बिगड़ सकते हैं।

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