वाशिंगटन/इस्लामाबाद। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो (Marko rubiyo) के पाकिस्तान दौरे की खबर ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में नई हलचल मचा दी है। हालांकि अभी तक इस यात्रा की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन अगर यह दौरा होता है तो यह ऐतिहासिक साबित होगा क्योंकि सात साल बाद कोई अमेरिकी विदेश मंत्री पाकिस्तान (Pakistan) की जमीन पर कदम रखेगा। इससे पहले 2018 में तत्कालीन विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने पाकिस्तान का दौरा किया था। यह संभावित यात्रा अमेरिकी रणनीति (American Strategy) में हो रहे बदलाव का स्पष्ट संकेत माना जा रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम केवल कूटनीतिक औपचारिकता नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरे आर्थिक और सामरिक हित छिपे हैं।
क्यों पाकिस्तान में दिलचस्पी ले रहा है अमेरिका?
ट्रंप प्रशासन की नज़र पाकिस्तान में मौजूद रेयर अर्थ मिनरल्स और हाइड्रोकार्बन पर टिकी है।
- इन संसाधनों का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों, इलेक्ट्रॉनिक्स और नवीकरणीय ऊर्जा तकनीकों में होता है।
- इस समय चीन इन खनिजों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।
- अमेरिका, अपनी आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित बनाने और चीन पर निर्भरता कम करने की दिशा में काम कर रहा है।
14 अगस्त को पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर रुबियो द्वारा भेजे गए संदेश में भी इस नीति के संकेत मिले। उन्होंने कहा था कि अमेरिका महत्वपूर्ण खनिजों और ऊर्जा सहयोग के नए अवसर तलाशने के लिए उत्सुक है।
ट्रंप प्रशासन का नया दांव
हाल ही में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका और पाकिस्तान के बीच एक बड़े व्यापारिक समझौते की घोषणा की।
- इस समझौते के तहत अमेरिका, पाकिस्तान के तेल भंडारों के दोहन में मदद करेगा।
- अमेरिकी कंपनियों को पाकिस्तान के खनन और ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने का रास्ता मिलेगा।
- विश्लेषकों का कहना है कि यह समझौता पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा देगा, वहीं अमेरिका को चीन के विकल्प के रूप में एक नया साझेदार मिलेगा।
भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती
अमेरिका का पाकिस्तान की ओर यह नया झुकाव भारत के लिए चिंता का विषय बन गया है।
- भारत और अमेरिका के रिश्ते बीते वर्षों में रक्षा, तकनीक और व्यापार के क्षेत्र में अभूतपूर्व ऊँचाइयों पर पहुँचे हैं।
- लेकिन पाकिस्तान को लेकर अमेरिका की सक्रियता, नई रणनीतिक संतुलन नीति का हिस्सा लग रही है।
- अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान को चीन के गहरे प्रभाव से दूर खींचा जाए।
- विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम भारत के लिए नए कूटनीतिक समीकरण पैदा कर सकता है, क्योंकि पाकिस्तान लंबे समय से चीन का “ऑल-वेदर” सहयोगी माना जाता है।
क्षेत्रीय भू-राजनीति पर असर
अगर यह दौरा तय होता है तो इसके कई दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं :
- दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन बदल सकता है।
- पाकिस्तान को आर्थिक सहयोग मिलने से उसकी आंतरिक स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय साख बढ़ सकती है।
- भारत-अमेरिका रिश्तों में सूक्ष्म तनाव पैदा हो सकता है, हालांकि अमेरिका अब भी भारत को अपने “रणनीतिक साझेदार” के रूप में देखता है।
- चीन और पाकिस्तान की नज़दीकियों को चुनौती मिल सकती है।
विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले महीनों में अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो की यह यात्रा तय होती है तो यह न केवल पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों का नया अध्याय होगी, बल्कि भारत, चीन और पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र की भू-राजनीति पर गहरा असर डालेगी।
अमेरिका का दूसरा नाम क्या है?
अमेरिका का दूसरा नाम संयुक्त राज्य अमेरिका है, जिसे आम बोलचाल में यूएस, यूएसए और संयुक्त राज्य भी कहा जाता है। यह एक ही देश के विभिन्न संक्षिप्त रूप या पर्यायवाची शब्द हैं।
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