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Bhaum Pradosh Vrat: जानें सावन के पहले भौम प्रदोष व्रत का महत्व

Kshama Singh
Kshama Singh
Bhaum Pradosh Vrat: जानें सावन के पहले भौम प्रदोष व्रत का महत्व

भौम प्रदोष व्रत से प्राप्त होती है साधक को सफलता

आज सावन भौम प्रदोष व्रत है, सावन (Sawan) माह में भौम प्रदोष व्रत का खास महत्व है। इस दिन भगवान शिव एवं हनुमान जी की पूजा होती है। सावन भौम प्रदोष व्रत पर हनुमान जी की पूजा करने से साधक को शुभ फल मिलते हैं तो आइए हम आपको सावन भौम प्रदोष व्रत (Bhauma Pradosh Vrat) का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं

जानें सावन भौम प्रदोष व्रत के बारे में

सावन भौम प्रदोष व्रत के दिन शिव जी की पूजा करने से मंगल ग्रह के कारण प्राप्त होने वाले अशुभ ग्रहों के प्रभाव में कमी आती है, आरोग्य सुख की प्राप्ति होती है तथा शरीर ऊर्जावान और शक्तिशाली होता है। इस दिन शिव परिवार, मंगल देव एवं हनुमान जी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। इसलिए भौम प्रदोष व्रत के दिन लाल रंग की चीजों का दान करना भी शुभ माना जाता है।

भौम

सावन का पहला भौम प्रदोष व्रत 22 जुलाई को मनाया जाएगा। इस बार यह व्रत मंगलवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत किया जाता है, जिसमें से एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में आता है। इस दिन शिव जी की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है। सावन का पहला प्रदोष व्रत मंगलवार 22 जुलाई को किया जाएगा। यह प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ रहा है, ऐसे में इसे भौम प्रदोष व्रत भी कह सकते हैं।

सावन भौम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

पंडितों के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 22 जुलाई को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 23 जुलाई को प्रातः 4 बजकर 39 मिनट होगा।

सावन भौम प्रदोष व्रत का महत्व

शास्त्रों के अनुसार भौम प्रदोष व्रत के दिन शिवजी की आराधना करने से जीवन की कई बाधाएं दूर होती हैं। विशेष रूप से मांगलिक दोष से ग्रस्त जातकों के लिए यह दिन अत्यंत फलदायी होता है। इसके अतिरिक्त करियर से जुड़ी रुकावटें भी इस व्रत से कम हो सकती हैं। साथ ही हनुमान जी की कृपा भी साधक को प्राप्त होती है।

सावन भौम प्रदोष व्रत में पूजा का शुभ मुहूर्त

इस दिन पूजा के लिए प्रदोष काल का समय शाम 7:18 बजे से रात 9:22 बजे तक शुभ रहेगा। साथ ही दिन के अन्य शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:14 से 4:56 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 12:55 बजे तक

सावन भौम प्रदोष व्रत में शिव जी को ये वस्तुएं करें अर्पित, होंगी महादेव की कृपा

पंडितों के अनुसार इस दिन शिवजी को उनके प्रिय भोग अर्पित करनी चाहिए, जैसे खीर, बर्फी, मालपुआ, ठंडाई और भांग। पूजा करते समय शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, शमी और कनेर के फूल भी चढ़ाएं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इन भोग और पुष्पों से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा करते हैं। शिव जी को खीर, हलवा, बर्फी, मालपुआ, ठंडाई और भांग का भोग प्रिय है। इसके साथ शिव जी को धतूरा, शमी, कनेर, आदि भी अर्पित करें। साथ ही इस दिन शिवलिंग पर जल, कच्चा दूध, शहद और बेलपत्र भी जरूर अर्पित करें। सावन भौम प्रदोष व्रत की पूजा से भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी की कृपा की प्राप्ति होती है। जिससे साधक के लिए सफलता प्राप्ति के योग बनने लगते हैं।

सावन भौम प्रदोष व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भौम प्रदोष व्रत के दिन शिवजी की आराधना करने से जीवन की कई बाधाएं दूर होती हैं। विशेष रूप से मांगलिक दोष से ग्रस्त जातकों के लिए यह दिन अत्यंत फलदायी होता है। इसके अतिरिक्त करियर से जुड़ी रुकावटें भी इस व्रत से कम हो सकती हैं। साथ ही हनुमान जी की कृपा भी साधक को प्राप्त होती है। भौम प्रदोष व्रत दोनों चंद्र पक्षों की 13वीं तिथि को गोधूलि बेला में मनाया जाता है।

रिश्तों में सामंजस्य का आशीर्वाद पाने के लिए करें व्रत

पौराणिक कथा के अनुसार, इस समय देवताओं ने असुरों के अत्याचार से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की थी। भगवान शिव ने देवताओं की प्रार्थना स्वीकार की और उन्हें विजय प्रदान की। इसीलिए इस समय को प्रदोष काल कहा जाता है। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से मानसिक शांति और दिव्य आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। यह व्रत अपने रिश्तों में सामंजस्य का आशीर्वाद पाने के लिए भी किया जाता है।

सावन भौम प्रदोष व्रत के दिन ऐसे करें पूजा

पंडितों के अनुसार भक्तों को इस दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए, साफ़ कपड़े पहनने चाहिए और व्रत रखना चाहिए। भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए उनके नाम का ध्यान करना चाहिए। पूजा स्थल को साफ़ करके भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियाँ स्थापित करनी चाहिए और फिर उनकी पूजा करनी चाहिए। ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप भी किया जा सकता है। क्षमा और ईश्वरीय आशीर्वाद पाने के लिए प्रदोष व्रत कथा का पाठ भी किया जा सकता है। भगवान को प्रसन्न करने के लिए इस दिन दीये जलाएं और बेलपत्र चढ़ाएं।

सावन भौम प्रदोष पर भूल से भी न करें ये काम

प्रदोष व्रत के दिन तामसिक भोजन का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। वहीं व्रत करने वाले साधकों को इस दिन पर साधारण नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन गलती से भी शिव जी की पूजा में तुलसी दल का इस्तेमाल न करें और न ही पूजा में काले रंग के कपड़ें न पहनें। इन सभी कार्यों को करने से आपको पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता।

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