शिक्षा विभाग ने BPSC को भेजा पत्र
सरकारी या निजी स्कूलों में 10 अक्टूबर 2017 को जो भी शिक्षक कार्यरत थे और इस दौरान एनआईओएस से 18 माह का विशेष डीएलएड (Diploma in Elementary Education) की डिग्री ली थी, वे विद्यालय शिक्षक बन सकेंगे। बिहार लोक सेवा आयोग से टीआरई 2 के तहत ऐसे लगभग 2200 लोग हैं, जो अंकों के आधार पर सफल हैं। इन सभी का रिजल्ट जल्द जारी हो जाएगा। कक्षा 1 से 5 तक के स्कूलों में ये शिक्षक बनेंगे। इस संबंध में शिक्षा विभाग ने BPSC को पत्र भेजा है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आधार पर भेजा पत्र
प्राथमिक शिक्षा निदेशक साहिला के हस्ताक्षर से यह पत्र बीपीएससी को भेजा गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आधार पर शिक्षा विभाग ने यह पत्र भेजा है। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आधार पर बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा विद्यालय अध्यापक के लिए प्रतियोगिता परीक्षा में 18 माह का डीएलएड करने वाले 122 अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी किया गया था। ऐसे सभी 122 अभ्यर्थियों की शिक्षा विभाग ने पिछले दिनों काउसिलिंग भी कर ली है।

शिक्षक बने रहने के लिए होना चाहिए डीएलएड प्रशिक्षित
एनसीटीई के गाइडलाइन के आधार पर डीएलएड सहित शिक्षक प्रशिक्षण की डिग्री की मान्यता मिलती है। सामान्य अभ्यर्थियों के लिए शिक्षक बनने के लिए दो वर्षीय डीएलएड कोर्स अनिवार्य है। शिक्षा मंत्रालय ने 2017 में पत्र जारी कर कहा था कि कक्षा एक से 5 तक के स्कूल में शिक्षक बने रहने के लिए डीएलएड प्रशिक्षित होना चाहिए। तब सरकारी और निजी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों ने 18 माह का डीएलएड कोर्स किया था।
BPSC क्या है पूरी जानकारी हिंदी में?
BPSC (बिहार लोक सेवा आयोग) एक राज्य स्तरीय संस्था है, जो बिहार सरकार के लिए सिविल सेवा और अन्य प्रशासनिक पदों पर भर्ती करती है। यह परीक्षा तीन चरणों में होती है– प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार। इसका उद्देश्य योग्य अधिकारियों का चयन करना है।
बीपीएससी का इतिहास क्या है?
BPSC (बिहार लोक सेवा आयोग) की स्थापना 1 अप्रैल 1949 को हुई। यह संविधान के अनुच्छेद 315 के तहत गठित हुआ। शुरू में इसका मुख्यालय रांची था, जिसे 1951 में पटना स्थानांतरित किया गया। इसका उद्देश्य बिहार में प्रशासनिक सेवाओं के लिए योग्य उम्मीदवारों का चयन करना है।
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