తెలుగు | Epaper

Atta vs Maida : एक सेहतमंद, दूसरा हानिकारक

Surekha Bhosle
Surekha Bhosle
Atta vs Maida : एक सेहतमंद, दूसरा हानिकारक

दोनों गेहूं से बनते हैं, लेकिन असर में ज़मीन-आसमान का फर्क

  • पूरा गेहूं, पूरा पोषण– आटा गेहूं को बिना रिफाइन किए पीसने से बनता है, जिसमें फाइबर, विटामिन B और मिनरल्स होते हैं।
  • पाचन में सहायक– इसमें मौजूद रेशा (fiber) पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखता है।
  • ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है– धीमी गति से ग्लूकोज रिलीज़ होता है, जिससे डायबिटिक मरीजों के लिए भी बेहतर है।

मैदा: सफेद ज़हर?

  • अत्यधिक प्रोसेसिंग– मैदा गेहूं को रिफाइन और ब्लीच करके बनाया जाता है, जिससे उसका पूरा पोषण खत्म हो जाता है।
  • फाइबर शून्य, कैलोरी अधिक– यह केवल “खाली कैलोरी” देता है – यानी ऊर्जा तो मिलती है, लेकिन पोषण नहीं।
  • पाचन में समस्या– मैदा कब्ज और एसिडिटी जैसी समस्याएं बढ़ा सकता है।
  • वजन बढ़ाने वाला– तेज़ी से शुगर बढ़ाने के कारण मोटापा और डायबिटीज़ का खतरा।

Atta vs Maida : मैदा (Maida) और गेहूं का आटा (wheat flour) हमारे रोजमर्रा के खाने का एक अहम हिस्सा हैं। नान, कुलचा, समोसा, भटूरा, केक और कुकीज जैसी डिशेज में मैदे का खूब इस्तेमाल होता है। वहीं रोटी, पराठा, पूड़ी और फुल्का जैसी डिशेज के लिए गेहूं का आटा ज्यादा पसंद किया जाता है

हालांकि ये दोनों ही गेहूं से बनते हैं, फिर भी इनकी न्यूट्रिशनल वैल्यू, पाचन पर असर और लंबे समय में सेहत पर प्रभाव बिल्कुल अलग होता है। डाइजेस्टिव हेल्थ, डायबिटीज और वेट मैनेजमेंट के मामले में यह फर्क और भी ज्यादा मायने रखता है।

  • मैदा और गेहूं के आटे में क्या मूल अंतर है?
  • इनमें से क्या खाना ज्यादा हेल्दी है?

मैदा और गेहूं के आटे में क्या मूल अंतर है?

Atta vs Maida : मैदा सिर्फ गेहूं के एंडोस्पर्म (गेहूं के अंदर का सफेद, स्टार्च वाला हिस्सा) से बनाया जाता है। इसे ज्यादा प्रोसेस कर महीन, सफेद और मुलायम आटे में बदला जाता है, जिससे इसमें फाइबर, विटामिन और मिनरल्स बहुत कम रह जाते हैं।

वहीं गेहूं का आटा पूरे दाने को पीसकर बनाया जाता है, जिससे यह ज्यादा पौष्टिक, फाइबर युक्त और पाचन के लिए बेहतर होता है। नीचे दिए ग्राफिक से इसके मूल अंतर को समझिए-

मैदा और गेहूं के आटे की न्यूट्रिशनल वैल्यू में क्या अंतर है?

Aata vs Maida

मैदा में मुख्य रूप से स्टार्च बेस्ड कार्बोहाइड्रेट होते हैं। हालांकि प्रोसेसिंग के दौरान चोकर और अन्य पोषक हिस्से हट जाने के कारण इसमें फाइबर, विटामिन और मिनरल्स न के बराबर बचते हैं। यही कारण है कि यह पचने में हैवी और न्यूट्रिशन में कमजोर होता है।

Atta vs Maida : वहीं गेहूं का आटा साबुत गेहूं से बनता है, जिसमें फाइबर, प्रोटीन, आयरन, मैग्नीशियम और जिंक जैसे जरूरी पोषक तत्व होते हैं। इसमें विटामिन B-कॉम्प्लेक्स और विटामिन E भी मौजूद होते हैं, जो पाचन, एनर्जी और ओवरऑल के लिए फायदेमंद हैं। नीचे दिए ग्राफिक से 100 ग्राम मैदा और गेहूं के आटे की न्यूट्रिशनल वैल्यू समझिए-

क्या मैदा गेहूं से बनता है?

मैदा सिर्फ गेहूं के एंडोस्पर्म (गेहूं के अंदर का सफेद, स्टार्च वाला हिस्सा) से बनाया जाता है।

मैदा को सफेद जहर क्यों कहा जाता है?

यहां 5 कारण बताए गए हैं कि मैदा को सफेद जहर क्यों कहा जाता है और इसे क्यों नहीं खाना चाहिए। मैदे में बिल्कुल भी फाइबर नहीं होता, और इसे आंत का गोंद कहा जाता है। और इससे आंतों में परेशानी होने की संभावना ज़्यादा होती है। मैदा पाचन तंत्र को भी धीमा कर देता है जिससे कब्ज, मोटापा और पेट फूलने जैसी समस्याएँ होती हैं।

भारत में गेहूं कौन लाया था?​

गेहूं को आर्यों द्वारा भारत लाया गया था माना जाता है कि गेहूं की उत्पत्ति हिंदुकुश और हिमालय के बीच के क्षेत्र में हुई थी, और 3500 ईसा पूर्व तक यह पूर्व में चिरांद तक फैल गई थी।

अन्य पढ़ें: Mullangi Paratha Recipe: सर्दियों में गर्मागर्म मूली पराठा

📢 For Advertisement Booking: 98481 12870