किसी भारी बैग को उठाना हो, किसी को गले लगाना हो या किसी वस्तु को छूने के लिए हाथ बढ़ाना हो — हर काम में कंधों की अहम भूमिका होती है। ये ऊपरी शरीर के ऐसे साइलेंट वॉरियर (Silent Varriors) हैं, जो ताकत, संतुलन और अभिव्यक्ति का केंद्र हैं। कंधे तीन मुख्य हड्डियों — ह्यूमरस (ऊपरी भुजा), स्कैपुला (कंधा) और क्लेविकल (हंसली) से मिलकर बने होते हैं। इन हड्डियों को घेरता है रोटेटर कफ (Rotator Cough) यानी मांसपेशियों का समूह, जो कंधे को स्थिर रखता है और उसे 360 डिग्री तक घुमाने की क्षमता देता है। यही वजह है कि कंधा शरीर का सबसे गतिशील जोड़ माना जाता है।
भावनाओं का आईना भी हैं कंधे
कंधे सिर्फ शारीरिक ताकत का प्रतीक नहीं, बल्कि भावनात्मक स्थिति का संकेत भी देते हैं। थकान या उदासी में कंधे झुक जाते हैं, जबकि आत्मविश्वास के वक्त वे सीधे दिखाई देते हैं। आयुर्वेद में कंधों को ‘बलस्थान’ कहा गया है, यानी शक्ति और स्थिरता का आधार।
आधुनिक जीवनशैली और बढ़ती समस्याएं
कंप्यूटर, मोबाइल, गलत मुद्रा में बैठना या ओवरवर्कआउट जैसी आदतें कंधे की कई समस्याओं का कारण बन रही हैं। इनमें फ्रोजन शोल्डर, रोटेटर कफ इंजरी और आर्थराइटिस प्रमुख हैं।
सरल घरेलू उपाय से करें देखभाल
- तेल मालिश: रोजाना सरसों या तिल के तेल से हल्की मालिश करने से रक्त प्रवाह बढ़ता है और मांसपेशियों की अकड़न कम होती है।
- ठंडी-गर्म सिकाई: दर्द या सूजन होने पर बारी-बारी से ठंडी और गर्म सिकाई राहत दे सकती है।
- गोमुखासन, गरुड़ासन और अधोमुख श्वानासन जैसे योगासन कंधे की लचक और शक्ति बढ़ाने में बेहद कारगर हैं।
संतुलित आहार से मिलेगी मजबूती
कैल्शियम और विटामिन डी युक्त खाद्य — जैसे दूध, तिल, अंजीर, पनीर — कंधों को मजबूत करते हैं। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी जैसे अश्वगंधा और हडजोड़ भी जोड़ों की मजबूती में सहायक होती हैं।
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