एमएस धोनी पहलगाम हमला: देशभर में पहलगाम आतंकी हमले के बाद आक्रोश का माहौल है। आम जनता से लेकर हर वर्ग इस नृशंसता की निंदा कर रहा है। विशेष रूप से क्रिकेट जगत से भी इसपर तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं। लेकिन इस बीच एक नाम है, जिसकी चुप्पी ने सबको चौंका दिया है—इंडिया के पूर्व कप्तान एमएस धोनी।
क्रिकेटरों ने दिया जवाब, लेकिन धोनी मौन क्यों?
जहां विराट कोहली ने इस आक्रमण को कायरतापूर्ण करार देते हुए हुतात्मा को श्रद्धांजलि दी, वहीं शुभमन गिल ने कहा कि “अहिंसा का इंडिया में कोई स्थान नहीं।” हेड कोच गौतम गंभीर ने भी तीखा बयान देते हुए कहा कि “इंडिया इस आक्रमण का बदला अवश्य लेगा।”
यहां तक कि पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर दानिश कनेरिया ने भी अपने देश की गवर्नमेंट पर आक्रमण बोला। ऐसे में एमएस धोनी की चुप्पी सवाल खड़े कर रही है।

लेफ्टिनेंट कर्नल होते हुए भी धोनी खामोश?
धोनी सिर्फ एक क्रिकेटर ही नहीं, बल्कि भारतीय टेरिटोरियल आर्मी के मानद लेफ्टिनेंट कर्नल भी हैं। 2011 में उन्हें यह पदभार सौंपा गया था। एक फौज पदाधिकारी होने के नाते, लोगों को उनसे आशा थी कि वह कुछ कहेंगे, लेकिन अब तक उनकी ओर से कोई भी बयान नहीं आया।
सोशल मीडिया पर प्रशंसकों का नाराज़गी फूटा
सोशल मीडिया पर धोनी और उनकी IPL टीम चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) को लेकर नाराज़गी जताई जा रही है। एक उपयोगकर्ता ने लिखा, “पहले मुर्शिदाबाद, फिर बांग्लादेश और अब पहलगाम—धोनी हर बार चुप रहते हैं।”कुछ ने तो यहां तक कह दिया कि वो अब CSK का सहारा नहीं करेंगे। यूजर्स का मानना है कि धोनी जैसे प्रभावशाली शख्स को इन विषयों पर खुलकर बोलना चाहिए।