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मस्जिद में Akhilesh Yadav और शिव भक्तों के साथ इकरा हसन

Vinay
Vinay
मस्जिद में Akhilesh Yadav और शिव भक्तों के साथ इकरा हसन

नई दिल्ली, 23 जुलाई 2025: समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और सपा सांसद इकरा हसन के हालिया कदमों ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नए तरह के संदेश को उजागर किया है। अखिलेश यादव ने संसद भवन के पास एक मस्जिद में सपा सांसदों के साथ बैठक की, तो वहीं इकरा हसन ने सहारनपुर में कांवड़ यात्रा के दौरान शिव भक्तों की सेवा में हिस्सा लिया

इन घटनाओं को सपा की सद्भाव वाली पॉलिटिक्स के तौर पर देखा जा रहा है, जिसका मकसद विभिन्न धर्मों और समुदायों के बीच एकता और सहयोग को बढ़ावा देना है। आइए, इन कदमों के मायने और इनके पीछे की राजनीतिक रणनीति को समझते हैं।

अखिलेश यादव का मस्जिद दौरा
अखिलेश यादव ने हाल ही में संसद भवन के पास स्थित एक मस्जिद में सपा सांसदों के साथ बैठक की। इस दौरान वे मस्जिद के अंदर बैठे नजर आए, और इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं। अखिलेश ने इस दौरे को आस्था और सद्भाव से जोड़ा और कहा:
– “आस्था जोड़ती है। हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।”
– उनका यह भी कहना था कि सपा का मकसद लोगों को जोड़ना है, न कि बांटना।

इस कदम को सपा की उस रणनीति के हिस्से के तौर पर देखा जा रहा है, जो विभिन्न समुदायों के बीच अपनी छवि को मजबूत करना चाहती है। खास तौर पर, यह मुस्लिम समुदाय के प्रति सपा की नजदीकी को दर्शाता है।

इकरा हसन का कांवड़ सेवा में योगदान
दूसरी ओर, सपा सांसद इकरा हसन ने सहारनपुर में कांवड़ यात्रा के लिए आयोजित सेवा शिविरों का उद्घाटन किया। उन्होंने न सिर्फ इन शिविरों की शुरुआत की, बल्कि शिव भक्तों को भोजन भी परोसा। इसकी तस्वीरें शेयर करते हुए इकरा ने सोशल मीडिया पर लिखा:
– “श्रद्धा, सेवा और सहयोग यही हमारे समाज की सबसे बड़ी ताकत है।”

एक मुस्लिम सांसद का हिंदू तीर्थयात्रियों की सेवा में शामिल होना धार्मिक सद्भाव का मजबूत संदेश देता है। यह कदम सपा की उस छवि को मजबूत करता है, जो सभी धर्मों के बीच एकता और सहयोग को प्राथमिकता देती है।

सद्भाव वाली पॉलिटिक्स के मायने
अखिलेश और इकरा के इन कदमों को सपा की सद्भाव वाली राजनीति के तौर पर समझा जा सकता है। इसके पीछे कुछ अहम मायने हैं:

1. सभी समुदायों को जोड़ने की कोशिश:
   – अखिलेश का मस्जिद दौरा मुस्लिम समुदाय के बीच सपा की पैठ को मजबूत करता है।
   – इकरा का कांवड़ सेवा में योगदान हिंदू समुदाय के प्रति सपा के सम्मान और सहयोग को दर्शाता है।
   – यह संतुलन सपा की उस रणनीति का हिस्सा है, जो सभी समुदायों का समर्थन हासिल करना चाहती है।

2. 2027 के चुनावों की तैयारी:
   – ये कदम 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले सपा की राजनीतिक जमीन को मजबूत करने की कोशिश हो सकते हैं।
   – सपा का लक्ष्य बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे का मुकाबला करना और एक ऐसी छवि बनाना है, जो सभी धर्मों को साथ लेकर चल सके।

3. बीजेपी के आरोपों का जवाब:
   – बीजेपी ने अखिलेश के मस्जिद दौरे को मुस्लिम तुष्टिकरण और धार्मिक स्थल का राजनीतिक दुरुपयोग बताया।
   – जवाब में अखिलेश ने कहा, “बीजेपी लोगों को बांटना चाहती है, जबकि सपा आस्था के जरिए जोड़ने का काम करती है।”

विपक्ष की प्रतिक्रिया
बीजेपी ने इन कदमों पर तीखा हमला बोला है:
– अखिलेश के मस्जिद दौरे को असंवैधानिक करार दिया और कहा कि यह धार्मिक स्थलों का राजनीतिक उपयोग है।
– सपा पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाया।
– हालांकि, इकरा हसन के कांवड़ सेवा में योगदान पर बीजेपी की ओर से अभी खास टिप्पणी नहीं आई है, लेकिन सपा की इस रणनीति ने बीजेपी को असहज जरूर किया है।

अखिलेश ने बीजेपी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा:
– “बीजेपी का हथियार धर्म है, लेकिन सपा सभी धर्मों में आस्था रखती है।”

क्या है निष्कर्ष?
अखिलेश यादव का मस्जिद दौरा और इकरा हसन का कांवड़ सेवा में योगदान सपा की सद्भाव वाली पॉलिटिक्स का हिस्सा है। यह रणनीति न सिर्फ धार्मिक एकता और सहयोग को बढ़ावा देती है, बल्कि सपा को एक ऐसी पार्टी के तौर पर पेश करती है जो सभी समुदायों के हितों का ख्याल रखती है। यह कदम 2027 के चुनावों से पहले सपा की राजनीतिक जमीन को मजबूत करने की कोशिश हो सकते हैं। हालांकि, बीजेपी के आरोपों ने इस मुद्दे को और गरमा दिया है, जिससे उत्तर प्रदेश की सियासत में आने वाले दिनों में और हलचल देखने को मिल सकती है।

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