घायलों की मदद के बजाय सामान लूट ले गए लोग
अयोध्या में हुए भीषण सड़क हादसे के बाद मानवता शर्मसार होती दिखी। सड़क पर शव पड़े रहे और कुछ लोग मोबाइल व पर्स लेकर फरार हो गए।
यह बताते हुए मऊगंज (Mauganj) जिले के आशीष पटेल सहम जाते हैं। उनके चेहरे और सिर में गहरी चोट है। वह परिवार के 9 लोगों के साथ गुरुवार को अयोध्या राम मंदिर दर्शन के लिए जा रहे थे। मौके पर लहूलुहान घायल और लाशें पड़ी थीं, लेकिन बदमाश मोबाइल, पर्स और सामान चुरा ले गए। सभी जिले के बेलहई गांव में रहते थे। जो परिवार अपनी आपसी एकजुटता के लिए जाना जाता था, आज बिखर चुका है। तीन भाइयों का 14 सदस्यीय परिवार, जहां हर त्योहार, हर खुशी साथ मनाई जाती थी, अब मातम में डूब गया है।
अयोध्या से 10 किमी पहले हुआ हादसा
घटना 11 दिसंबर की सुबह करीब 5 बजे कल्याण भदरसा गांव के पास नेशनल हाईवे पर हुई। जिले के बेलहाई गांव निवासी पटेल परिवार बोलेरो (MP17TA2441) में सवार होकर देर रात अयोध्या के लिए निकला था।
10 दिसंबर की रात 11 बजे परिवार के 10 सदस्य बोलेरो में बैठकर भगवान रामलला के दर्शन के लिए निकले थे।
सुबह करीब 5 बजे, कल्याण भदरसा गांव के पास बोलेरो की ट्रैक्टर-ट्रॉली से भिड़ंत हो गई। ट्रॉली में लाइट नहीं थी। हल्का कोहरा भी छाया था। बोलेरो तेज रफ्तार में थी। टक्कर इतनी जबर्दस्त थी कि बोलेरो पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई।
हादसे में मीराबाई पटेल, अंकिता पटेल और ड्राइवर रामयश मिश्रा की मौत
हादसे में मीराबाई पटेल, अंकिता पटेल और ड्राइवर रामयश मिश्रा की मौत हो गई। बाकी 8 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, कुछ ICU में जिंदगी से लड़ रहे हैं।

शुक्रवार को गांव में एक साथ मृतकों का अंतिम संस्कार किया गया
ड्राइवर राम यश मिश्रा (50) रीवा जिले के जोगिनिहाई के रहने वाले थे। वहीं, अंकिता पटेल (25) और मीराबाई पटेल (50) दोनों निवासी बेलहाई, थाना मऊगंज में रहते थे। वहीं, चित्रसेन पटेल, दीपक पटेल, आशीष पटेल, तनुजा पटेल, चंद्र काली पटेल, कुसुमवती पटेल, शशी पटेल और 5 साल का शिवांश पटेल घायल हो गए।
पति बोला- एक पल में जिंदगी बदल गई
मृतक मीराबाई पटेल के पति महेंद्र मणि पटेल ने बताया-
मीराबाई बाई कल रात 11 बजे अयोध्या के लिए निकली थीं। मैं उन्हें सड़क तक छोड़ने आया था। जाते-जाते बस इतना कहा- ‘दूध यहीं रखा है, कॉफी-शक्कर रखी है, सुबह बना लेना। पूरी सब्जी भी रखी है, सुबह खा लेना… दोपहर में चावल-दाल भी रखी है, गैस पर गरम कर लेना।’ मैंने कहा, ‘ठीक है, आप लोग जाइए, हम बना लेंगे।’ फिर वे गाड़ी में बैठीं और चल गईं।
मुझे क्या पता था कि यही हमारी आखिरी मुलाकात होगी। महेंद्र मणि पटेल ने बताया कि इसके बाद जब सुबह नींद खुली तो गांव की ममता आई और पूछने लगी ‘आशीष पटेल कौन है?’ मैंने कहा, ‘मेरे भतीजे का नाम है, वह भी अयोध्या गए हैं। वह कुछ बताना चाह रही थी, पर मैं समझ नहीं पाया।
उन्होंने बताया- कल रात 11 बजे तक वे हमारे साथ थीं, घर के खाने-पीने की चिंता कर रही थीं… और आज सब कुछ बदल गया। मुझे क्या पता था कि यह रात इतनी भयावह साबित होगी कि मेरी पूरी जिंदगी ही बदल जाएगी।
अन्य पढ़ें: Bihar-लालू की संपत्ति जब्त कर खोलेंगे स्कूल, सम्राट चौधरी का बड़ा हमला
वहीं हादसे में मृत अंकिता पटेल (25) अपने पिता के साथ गुजरात में रहती थी 16 नवंबर को गुजरात से गांव आई थी 23 नवंबर को उसकी मामा की बेटी की शादी थी।
अंकिता के पिता घटना की जानकारी देते हुए भावुक हाे गए। उन्होंने बताया-
हमारी आखिरी मुलाकात 16 नवंबर को अहमदाबाद रेलवे स्टेशन पर हुई थी। मैं खुद उसे घर के लिए छोड़ने गया था। उसने AC का टिकट लिया था। वह पढ़ी-लिखी और समझदार लड़की थी। जाते समय बस इतना ही बोली- ‘पापा, मैं जा रही हूं, शादी के दो-चार दिन बाद वापस आ जाऊंगी।’ मामा की बेटी की शादी 23 नवंबर को थी। मैं भी भावुक था, क्योंकि मुझे बाहर का खाना खाने में दिक्कत रहती है। वह यही कहकर गई कि ‘पापा, मैं जल्दी आ जाऊंगी।’
अहमदाबाद में ड्यूटी पर थे, फ्लाइट से निकले
उन्होंने बताया- उस समय मैं ड्यूटी पर था, लेकिन 5 मिनट लेट हुआ ही था कि फोन आया। मैंने तुरंत अपनी सिक्योरिटी सुपरवाइज़र और एचआर को बताया। उन्होंने कहा कि ‘आप तुरंत निकलो, टिकट की व्यवस्था हम कर देंगे।’ इसके बाद शायद उन्होंने सेठ से बात की और मेरे लिए अहमदाबाद से बनारस की फ्लाइट बुक कराई।
रात 9 बजे मैं बनारस पहुंचा, लेकिन वहां से सीधे घर जाने की गाड़ी नहीं थी। फिर मैं इलाहाबाद गया। वहीं से भतीजा भी बॉडी लेकर आ रहा था। सभी रास्ते में ही थे। उन्होंने पूछा ‘चाचा, आप कहाँ हैं?’ मैंने कहा- ‘इलाहाबाद में हूं।’ उन्होंने कहा कि तीन घंटे लगेंगे, इंतजार कर लो। मैं रातभर वहीं बैठा रहा। सुबह करीब 6 बजे संगम के पास मिलना हुआ। फिर हम सब साथ में घर के लिए रवाना हुए।”
अयोध्या में कितने कारसेवकों की हत्या हुई थी?
अक्टूबर 1990 और 2 नवंबर 1990 में, राम रथ यात्रा के बाद। ये नागरिक धार्मिक स्वयंसेवक या कारसेवक थे, जो अयोध्या में राम जन्मभूमि स्थल के पास एकत्रित हुए थे। राज्य सरकार के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, कम से कम 17 लोग मारे गए थे।
अन्य पढ़ें: