भाजपा नेता ने कहा – अब सख्त कदम उठाने का आ गया है समय
मुंबई। वरिष्ठ भाजपा नेता और मुंबई के पूर्व उप महापौर बाबू भाई भवानजी ने कहा है कि जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए अब सख्त कदम उठाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि दो से अधिक संतान पैदा करने वालों का वोट देने का अधिकार छीन लिया जाना चाहिए तथा उनके चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए। दादर में बुद्धिजीवियों की एक सभा में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए भवानजी ने कहा कि जो लोग दो से अधिक बच्चा पैदा करें उन्हें सरकारी नौकरी भी नहीं मिलनी चाहिए और उन्हें सरकारी योजना का कोई लाभ नहीं दिया जाना चाहिए।
जनसंख्या पर सख्ती से रोक नहीं लगी तो हो सकते हैं विस्फोटक परिणाम : भाजपा नेता
उन्होंने कहा कि अगर जनसंख्या पर सख्ती से रोक नहीं लगी तो इसके विस्फोटक परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश की वास्तविक समस्या क्या है? गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, अशिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, सुरक्षा अभाव, बिजली, पानी, सड़क, अपराध, घूसखोरी, जमाखोरी, महिला अपराध, रूढि़वादिता, धर्मवाद, क्षेत्रवाद, जातिवाद, दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, बलात्कार, नशाखोरी, प्रदूषण, सरकारी कामकाज, जहरीली हवा, दूषित पानी, ध्वनि प्रदूषण शहरीकरण, मॉब-लिंचिंग, फेक न्यूज, किसान आत्महत्या, कृषि समस्याएं, अर्थव्यवस्था, औसत आय में कमी, यातायात सुविधाओं का अभाव, सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण, सेवा समाप्ति या कुछ और? पर देश की प्रमुख समस्याओं की तह में जाकर उनके होने के कारणों की विवेचना करने पर सभी समस्याओं का मूल कारण ‘बढ़ती जनसंख्या’ ही मिलेगा।

बोले भाजपा नेता भवानजी – अब तक नहीं की गई आवश्यक उचित कार्रवाई
भवानजी ने कहा कि सात दशकों से अधिक समय व्यतीत हो जाने के बावजूद इस समस्या पर अब तक आवश्यक उचित कार्रवाई नहीं की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाल किले से अपने भाषण में इस विषय को महत्व देना आशा की नई किरण के समान है क्योंकि अधिकांश विषयों में प्रधानमंत्री जी ने जब भी लाल किले से बोला है तो उस पर कार्रवाई भी की है। उन्होंने कहा कि आंकड़ों की आपसी विषमता, यहां तक कि जमीनी आवश्यकताओं की पू्र्ति में आज भी संघर्षरत एवं सामाजिक, आर्थिक मुद्दों पर पिछड़ेपन की मुख्य वजह जनसंख्या विस्फोट का होना है।
भारत में इसका व्यापक अभाव
किसी भी देश के लिए जनसंख्या का महत्व तभी है जबकि उनके लिए जमीनी आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध हों और उन्हें सही मार्ग में प्रेरित कर उत्पादक कार्य करवाया जा सके जिससे देश के विकास के साथ-साथ उनकी स्वयं की जीवनशैली भी बेहतर हो सके। परन्तु भारत में इसका व्यापक अभाव दिख रहा है। उन्होंने कहा कि एक बड़ी आबादी औसत दर्जे से नीचे का जीवन-यापन कर रही है। कई कारणों में से एक कारण अधिक जनसंख्या भी है जिसके लिए सरकार निजी क्षेत्र को मुख्य भूमिका में लाने के लिए मजबूरन कार्य कर रही है।
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