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National: बागेश्वर धाम में मानव तस्करी के दावे: सत्य या अफवाह?

Vinay
Vinay
National: बागेश्वर धाम में मानव तस्करी के दावे: सत्य या अफवाह?

छतरपुर, मध्य प्रदेश (1 अगस्त, 2025): मध्य प्रदेश के छतरपुर में स्थित बागेश्वर धाम, जो धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उर्फ बागेश्वर धाम सरकार की चमत्कारिक कथाओं का गढ़ है, एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार वजह है एक चौंकाने वाला दावा, जो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है।

एक फेसबुक पोस्ट ने दावा किया कि इस पवित्र स्थल पर कथित तौर पर लड़कियों की तस्करी का काला खेल चल रहा था, और पुलिस ने रातों-रात छापेमारी कर 13 लड़कियों को बरामद किया। लेकिन क्या यह सच है, या कोई साजिश रच रहा है धाम की छवि को धूमिल करने की? आइए, इस रहस्यमयी मामले की परतें उघाड़ते हैं!

सोशल मीडिया पर मचा हंगामा

सब कुछ शुरू हुआ एक फेसबुक पोस्ट से (लिंक: https://www.facebook.com/share/v/1Cgmia29ec/), जिसमें दावा किया गया कि बागेश्वर धाम में मानव तस्करी का गोरखधंधा चल रहा था। पोस्ट में कहा गया कि छतरपुर पुलिस ने एक गुप्त ऑपरेशन में धाम पर छापा मारा और 13 लड़कियों को मुक्त कराया। यह खबर इतनी सनसनीखेज थी कि देखते ही देखते हजारों लोगों ने इसे शेयर कर दिया। लेकिन सवाल यह है—क्या यह सचमुच इतना बड़ा खुलासा है, या सिर्फ सोशल मीडिया का तमाशा?

तथ्यों की तह तक

एम्बुलेंस का रहस्य: हाल ही में, 31 जुलाई, 2025 को *Free Press Journal* ने एक खबर छापी, जिसमें बताया गया कि मध्य प्रदेश-उत्तर प्रदेश सीमा पर एक एम्बुलेंस में 13 महिलाओं को ले जाया जा रहा था। बागेश्वर धाम की मंदिर समिति ने दावा किया कि ये महिलाएं चेन-स्नैचिंग और चोरी जैसी गतिविधियों में लिप्त थीं और उन्हें महोबा रेलवे स्टेशन छोड़ने के लिए ले जाया जा रहा था। लेकिन ट्विस्ट तब आया, जब इन महिलाओं का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि उनके साथ मारपीट की गई और जबरन एम्बुलेंस में ठूंसा गया। क्या यह तस्करी थी, या कुछ और? पुलिस ने अभी तक इसे “मानव तस्करी” का मामला नहीं माना है।
पुलिस की चुप्पी: मध्य प्रदेश पुलिस या छतरपुर पुलिस ने इस कथित छापेमारी की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की। अगर वाकई में इतना बड़ा ऑपरेशन हुआ होता, तो क्या यह खबर राष्ट्रीय सुर्खियां न बनती? पुलिस की खामोशी इस मामले को और रहस्यमयी बनाती है।
सोशल मीडिया का जाल: बागेश्वर धाम और धीरेंद्र शास्त्री पहले भी विवादों के केंद्र में रहे हैं—चाहे वह उनके चमत्कारिक दावों पर सवाल हों या नास्तिक संगठनों की आलोचनाएं। क्या यह दावा उनके खिलाफ चल रही बदनामी की मुहिम का हिस्सा है? कुछ लोग मानते हैं कि यह एक सुनियोजित साजिश हो सकती है।

धाम का जवाब: “हम बेकसूर!”

बागेश्वर धाम की मंदिर समिति ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया। समिति के एक प्रवक्ता ने कहा, “यह हमारे खिलाफ एक गहरी साजिश है। जो महिलाएं एम्बुलेंस में थीं, वे चोरी और अन्य अपराधों में शामिल थीं। हमने पुलिस की मदद से उन्हें हटाया, लेकिन इसे तस्करी का रंग देना दुर्भाग्यपूर्ण है।” धीरेंद्र शास्त्री ने भी एक सभा में कहा, “हमारी आस्था पर हमला करने वाले कभी कामयाब नहीं होंगे। सत्य जल्द सामने आएगा।”

मानव तस्करी का स्याह सच

मध्य प्रदेश में मानव तस्करी कोई नई बात नहीं है। 2017 की एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में हर साल हजारों बच्चे और महिलाएं तस्करी का शिकार बनते हैं। लेकिन क्या बागेश्वर धाम जैसे आध्यात्मिक केंद्र को इस गंभीर अपराध से जोड़ा जा सकता है? बिना ठोस सबूतों के यह दावा संदिग्ध लगता है। 2022 में भारत में 7,000 से अधिक तस्करी पीड़ितों को बचाया गया, लेकिन बागेश्वर धाम से जुड़ा कोई मामला सामने नहीं आया।

साजिश या सच?

साजिश का कोण: कुछ जानकारों का मानना है कि यह दावा बागेश्वर धाम की बढ़ती लोकप्रियता को कम करने की कोशिश हो सकती है। धीरेंद्र शास्त्री के विरोधी पहले भी उन पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगा चुके हैं। क्या यह उसी कड़ी का हिस्सा है?
सच का इंतज़ार: अगर यह दावा सच है, तो यह एक गंभीर अपराध है, जिसकी जांच राष्ट्रीय स्तर पर होनी चाहिए। लेकिन बिना पुलिस रिपोर्ट, समाचार लेख, या अन्य विश्वसनीय स्रोतों के, इसे सच मानना जल्दबाजी होगी।
सोशल मीडिया का खेल: फेसबुक और अन्य प्लेटफॉर्म पर ऐसी खबरें अक्सर बिना सबूत के वायरल हो जाती हैं। क्या यह सिर्फ एक और वायरल पोस्ट है, जो लोगों की भावनाओं को भड़काने के लिए बनाई गई?

क्या कहते हैं तथ्य?

आधिकारिक स्रोतों का अभाव: इस दावे की पुष्टि के लिए कोई विश्वसनीय समाचार स्रोत, जैसे प्रमुख समाचार पत्र या मध्य प्रदेश पुलिस का आधिकारिक बयान, उपलब्ध नहीं है। स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया में ऐसी कोई खबर प्रमुखता से नहीं छपी, जो इतने गंभीर मामले के लिए असामान्य है।

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