नई दिल्ली, 25 अगस्त 2025: दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्नातक डिग्री की जानकारी सार्वजनिक करने से संबंधित केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के 2016 के आदेश को रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की एकल पीठ ने दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। विश्वविद्यालय ने तर्क दिया था कि पीएम मोदी की शैक्षणिक जानकारी निजता के दायरे में आती है और इसे केवल जिज्ञासा के आधार पर सूचना के अधिकार (RTI) के तहत सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय निजी तौर पर रिकॉर्ड दिखाने को तैयार है, लेकिन इसे सार्वजनिक करने से निजता का उल्लंघन होगा। दूसरी ओर, RTI आवेदक का कहना था कि प्रधानमंत्री की शैक्षणिक योग्यता सार्वजनिक हित का विषय है। हालांकि, कोर्ट ने निजता के अधिकार को प्राथमिकता देते हुए CIC के आदेश को खारिज कर दिया।
यह विवाद 2016 से चला आ रहा है, जब CIC ने दिल्ली विश्वविद्यालय को 1978 के बीए प्रोग्राम के रिकॉर्ड, जिसमें पीएम मोदी की डिग्री शामिल है, सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था। विश्वविद्यालय ने इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया था। कोर्ट के इस फैसले ने निजता और सूचना के अधिकार के बीच संतुलन को रेखांकित किया है।
यह फैसला राजनीतिक और सामाजिक चर्चा का विषय बन सकता है, क्योंकि पीएम मोदी की शैक्षणिक योग्यता को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय निजी जानकारी की गोपनीयता को मजबूती देगा।
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