20 साल में ऐतिहासिक बदलाव
- ऊर्जा खपत में 12 गुना इज़ाफा
2005 से 2025 के बीच बिजली की खपत में भारी वृद्धि देखी गई है, जो दर्शाता है कि अब अधिक लोग बिजली का उपयोग कर पा रहे हैं। - शहरों में 24 घंटे
- बिजली कटौती लगभग समाप्त
अब राज्य के अधिकांश शहरों में 22 से 24 घंटे की पावर सप्लाई नियमित रूप से मिल रही है।
- बिहार में पिछले 20 साल के दौरान ऊर्जा की मांग और खपत में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है. साल 2005 में 700 मेगावॉट की खपत हुआ करती थी. इसमें 12 गुणा से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई और 2025 में जून तक यह बढ़कर 8 हजार 428 मेगावॉट तक पहुंच गई है. बिहार के ऊर्जा विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ती जा रही है।
- मुख्यमंत्री विद्युत संबंध निश्चय योजना के तहत राज्य के सभी घरों तक निर्धारित अवधि से 5 महीने पहले यानी अक्टूबर 2018 में ही बिजली कनेक्शन पहुंचाया जा चुका है. इस योजना का नाम बाद में सौभाग्य कर दिया गया।
प्रति व्यक्ति 5 गुणा बढ़ी ऊर्जा की खपत
जानकारी के मुताबिक बीते 20 सालों के दौरान प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत में करीब 5 गुणा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 2012 में प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत 134 किलोवॉट और 2014 में यह बढ़कर 160 किलोवॉट दर्ज की गई थी. बिजली उपभोक्ताओं की संख्या में भी करीब साढ़े 12 गुणा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 2005 में राज्यभर में बिजली उपभोक्ताओं की संख्या 17 लाख थी, जो 2025 में बढ़कर 2 करोड़ 14 लाख हो गई।
शहर हो या गांव, अब 22-24 घंटे बिजली
वर्तमान में राज्य के सभी शहरों या गांवों में औसतन 22 से 24 घंटे रहती है. अभी शहरी क्षेत्रों में औसतन 23-24 घंटे तथा ग्रामीण क्षेत्रों में औसतन 22-23 घंटे बिजली रहती है. वहीं, 2005 की बात करें, तो शहरी क्षेत्रों में औसतन 10-12 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में यह औसत 5-6 घंटे का था. 2012 में शहरी क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता 14-16 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 8 से 10 घंटे बिजली रहती थी।
2014 में शहरी इलाके में औसतन 20-21 घंटे तथा ग्रामीण क्षेत्र में औसतन 14-16 घंटे बिजली मिलती थी. राज्य में विद्युतीकृत गांवों की संख्या (2005 में) 14 हजार 20 से बढ़कर 39 हजार 73 हो गई है. इसी तरह 2025 में राज्य के विद्युतीकृत टोलों की संख्या 1 लाख 6 हजार 249 हो गई है।