भारत-नेपाल बॉर्डर (India-Nepal Border) को आज से दो दिनों के लिए सील कर दिया गया. चौकसी भी बढ़ा दी गई है. इस दौरान आम लोगों की आवाजाही पर रोक लगी रहेगी. दरअसल, मोतिहारी शहर में पीएम मोदी के आगमन को लेकर यह बड़ा निर्णय लिया गया है.
भारत-नेपाल बॉर्डर को आज से दो दिनों के लिए सील कर दिया गया है. इस दौरान निजी और व्यावसायिक गाड़ियां नहीं चलेंगी. इसके साथ ही आम लोगों की आवाजाही पर भी रोक लगी रहेगी. पूरे इलाके में चौकसी बढ़ा दी गई है. दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) मोतिहारी आने वाले हैं. शहर के गांधी मैदान में बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे. इसके साथ ही रोड शो भी होगा. ऐसे में उनके कार्यक्रम को लेकर चौकसी बढ़ा दी गई है. आज ही भारत-नेपाल बॉर्डर को सील कर दिया गया है, जो कि कल तक रहेगा.
चप्पे-चप्पे पर रखी जाएगी निगरानी
हालांकि, पीएम मोदी के मोतिहारी से जाने के बाद पहले की तरह स्थिती सामान्य हो जाएगी. जानकारी के मुताबिक, विशेष परिस्थिती में ही पहचान पत्र दिखाकर सीमा के पार जाने का परमिशन मिल पायेगा. इधर, सीमा पर सुरक्षा एजेंसियां लगातार निगरानी कर रहीं हैं. इसके साथ ही चप्पे-चप्पे पर नजर बनाई हुई है. एटीएस और स्पेशल ब्रांच की यूनिट को भी बुलाया गया है. साथ ही एसपीजी (SPG) और पुलिस के आलाधिकारी मोतिहारी पहुंच चुके हैं. आने-जाने वालों की गहनता से जांच की जा रही है.
आज किया जाएगा मॉक ड्रिल
इसके अलावा 17 जुलाई यानी कि आज ही पीएम मोदी के कार्यक्रम को लेकर मॉक ड्रिल किया जाएगा. जिले के सभी थानों को अलर्ट कर दिया गया है. कार्यक्रम स्थल गांधी मैदान सहित दो किलोमीटर की एरिया को एसपीजी ने सुरक्षा घेरे में ले लिया है. बम निरोधक दस्ता के साथ डॉग स्क्वॉयड टीम से भी पूरे इलाके की जांच कराई जा रही है. इसके अलावा हेलिपैड, परिसदन आदि जगहों पर जवानों की तैनाती कर दी गई है. कुल मिलाकर देखा जाए तो, पीएम मोदी के आगमन से पहले चप्पे-चप्पे पर निगरानी रखी जा रही है. सभी अधिकारी अलर्ट मोड पर हैं.
नेपाल चीन का हिस्सा था या भारत का?
देश कभी उपनिवेश नहीं बना, बल्कि शाही चीन और ब्रिटिश भारत के बीच एक बफर राज्य के रूप में कार्य करता रहा । संसदीय लोकतंत्र 1951 में शुरू हुआ, लेकिन नेपाली राजाओं ने इसे दो बार, 1960 और 2005 में, निलंबित कर दिया।
नेपाल में सबसे पहले कौन रहता था?
नेपाल में सबसे पहले दर्ज की गई जनजातियाँ किरात लोग हैं, जो लगभग 4000 से 4500 वर्ष पूर्व तिब्बत से नेपाल आए थे और काठमांडू घाटी तथा नेपाल के दक्षिणी भागों में चले गए थे, तत्पश्चात भारत से आए लिच्छवियों द्वारा उन्हें अन्यत्र वापस भेज दिया गया, जिन्होंने आधुनिक दक्षिणी काठमांडू घाटी पर शासन किया था।
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