Latest Hindi News : भारतीय वायुसेना के ट्रेनर अब ब्रिटिश पायलटों को देंगे प्रशिक्षण

By Anuj Kumar | Updated: October 19, 2025 • 10:21 AM

नई दिल्ली,। वक्त वक्त की बात है — एक समय था जब ब्रिटिश ने भारत में ‘रॉयल इंडियन एयर फोर्स’ की नींव रखी थी, अब उसी ब्रिटेन की रॉयल एयर फोर्स (RAF) के फाइटर पायलटों को भारतीय वायुसेना (IAF) के अनुभवी प्रशिक्षक ट्रेनिंग देने जा रहे हैं।

ब्रिटेन के वैली एयरबेस पर होगी तैनाती

रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वायुसेना के दो शीर्ष फाइटर पायलट (Fighter Pilot) प्रशिक्षक जल्द ही ब्रिटेन के आरएएफ वैली एयरबेस में तैनात होंगे, जो वेल्स के उत्तर-पश्चिम तट पर एंगल्सी द्वीप पर स्थित है। यहां वे ब्रिटिश एयरफोर्स के पायलट कैडेट्स को बीएई हॉक टी एमके 2 एडवांस्ड जेट ट्रेनर विमान पर ट्रेनिंग देंगे।
यह वही विमान है जिस पर ब्रिटेन के अगली पीढ़ी के फाइटर पायलट टाइफून और एफ-35 जैसे फ्रंटलाइन जेट्स की तैयारी करते हैं।

रक्षा सहयोग की नई मिसाल

रॉयल एयर फोर्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह पहल दोनों देशों के बीच मजबूत होते रक्षा सहयोग की दिशा में अहम कदम है।
उन्होंने कहा, भारतीय प्रशिक्षकों की नियुक्ति की सटीक तारीख अभी तय नहीं हुई है, लेकिन यह अक्टूबर 2026 से पहले नहीं होगी। उनकी यूके में प्रारंभिक ट्रेनिंग और परिचय प्रक्रिया करीब एक वर्ष या उससे कम समय में पूरी हो जाएगी।

वेतन भारत देगा, व्यवस्था ब्रिटेन करेगा

इन दोनों भारतीय प्रशिक्षकों का वेतन भारत सरकार द्वारा दिया जाएगा, जबकि ब्रिटेन का रक्षा मंत्रालय उनके रहने की व्यवस्था करेगा। यह प्रशिक्षक आरएएफ वैली में अधिकतम तीन साल तक तैनात रह सकते हैं।

भारत दुनिया की तीसरी सबसे शक्तिशाली वायुसेना

वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉडर्न मिलिट्री एयरक्राफ्ट की रैंकिंग के मुताबिक, अमेरिका और रूस के बाद भारतीय वायुसेना दुनिया की तीसरी सबसे शक्तिशाली वायुसेना है। ब्रिटेन इस सूची में आठवें स्थान पर है।

सामरिक रिश्तों को मिलेगा नया आयाम

आरएएफ के सूत्रों के मुताबिक, इस कार्यक्रम का उद्देश्य सिर्फ प्रशिक्षण सहयोग नहीं, बल्कि भारत-यूके के सामरिक और राजनीतिक रिश्तों को मजबूत करना भी है।
एक अधिकारी ने कहा, भारतीय प्रशिक्षकों की भागीदारी से दोनों देशों की वायु सेनाओं के बीच बेहतर इंटरऑपरेबिलिटी विकसित होगी, जिससे विश्वास और सहयोग के नए रास्ते खुलेंगे।

बढ़ते वैश्विक प्रभाव की पहचान

इस ऐतिहासिक सहयोग को न केवल रक्षा विशेषज्ञों ने सराहा है, बल्कि इसे भारत के बढ़ते वैश्विक सैन्य प्रभाव का प्रतीक भी माना जा रहा है जहां अब भारतीय पायलट, कभी औपनिवेशिक शक्ति रहे ब्रिटेन के फाइटर पायलटों को उड़ान का पाठ पढ़ाएंगे।

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