नई दिल्ली। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S Jayshankar) ने पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत में ठहरने को उनकी निजी पसंद बताया। उन्होंने कहा कि इसका निर्णय उन परिस्थितियों से जुड़ा है जिनके चलते वे भारत आईं। 78 वर्षीय शेख हसीना बीते साल अगस्त में भारत आई थीं, जब बांग्लादेश में उनकी 15 साल की सत्ता का अंत हिंसा के बीच हुआ था।
हसीना के भारत में रहने पर जयशंकर का बड़ा बयान
एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री जयशंकर ने शेख हसीना (Seikh Haseena) के भारत में लंबे समय तक रहने और भारत-बांग्लादेश संबंधों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि शेख हसीना का भारत में रहना मूलतः उनका व्यक्तिगत फैसला है, लेकिन जिन परिस्थितियों में वे सत्ता छोड़कर भारत आईं वे इस फैसले के पीछे महत्वपूर्ण कारक हैं। लेकिन फिर भी, अंतिम फैसला उन्हें ही करना है।
“जब तक चाहें, रह सकती हैं”—भारत का स्पष्ट आश्वासन
विदेश मंत्री (Foriegn Minister) ने कहा कि भारत ने शेख हसीना को आश्वासन दिया है कि वह जब तक चाहें, भारत में रह सकती हैं। भारत सरकार ने पहले भी कई बार कहा है कि मानवीय आधार पर हसीना को शरण दी गई है और उनकी सुरक्षा एवं सुविधा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
भारत-बांग्लादेश संबंधों पर जयशंकर का दृष्टिकोण
भारत-बांग्लादेश संबंधों के संदर्भ में जयशंकर ने पड़ोसी देश में लोकतंत्र की मजबूती पर बल दिया। उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार के नेताओं ने खुद माना कि उनका मुख्य विरोध जनवरी 2024 के चुनावों की प्रक्रिया से था।
लोकतांत्रिक भविष्य की उम्मीद
जयशंकर ने विश्वास जताया कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया से जो भी नया नेतृत्व आएगा, वह भारत-बांग्लादेश संबंधों को संतुलित और परिपक्व दृष्टिकोण के साथ संभालेगा। उन्होंने कहा कि भारत की शुभकामना है कि बांग्लादेश तरक्की करे और जनता की इच्छा का सम्मान हो।
प्रत्यर्पण की मांग पर भारत का रुख
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार कई बार हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर चुकी है, लेकिन भारत ने अब तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत, हसीना को प्रत्यर्पित करने की बजाय बांग्लादेश में स्थिर और भारत-अनुकूल सरकार की वापसी का इंतजार कर रहा है।
आने वाले चुनावों पर निर्भर करेगा भविष्य
फिलहाल, शेख हसीना का भारत में रहना और दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध आगामी संभावित चुनावों पर काफी हद तक निर्भर करेंगे।
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