मुंबई,। गणेश चतुर्थी पर देशभर में भक्ति और उत्साह का माहौल है। वहीं मुंबई के प्रसिद्ध लालबागचा राजा (Lalbagcha Raja) के दरबार में भक्तों की अपार भीड़ उमड़ रही है। इस बार लालबागचा राजा को तिरुपति बालाजी की अनूठी थीम पर सजाया गया है, जिसने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया है।
92वां गणेशोत्सव, भव्य परंपरा जारी
लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल द्वारा आयोजित यह उत्सव 1934 से निरंतर चला आ रहा है। इसे नवसाचा गणपति (Navsacha Ganapti) के नाम से भी जाना जाता है। इस साल मंडल अपना 92वां गणेश उत्सव मना रहा है। आयोजन 27 अगस्त से शुरू हुआ है और 6 सितंबर तक चलेगा।
सोने और फूलों से अलंकृत प्रतिमा
इस बार गणेश जी (Ganesh Ji) की विशाल प्रतिमा को सोने और रंग-बिरंगी सजावट से सजाया गया है। ऊपर से लटकी भव्य फूलों की आकृतियां और नक्काशीदार दीवारें पूरे पंडाल को दिव्य आभा प्रदान कर रही हैं। श्रद्धालु इस अद्भुत दृश्य को अपने कैमरों में कैद करने से खुद को रोक नहीं पा रहे।
भक्ति और सांस्कृतिक रंग में रंगा उत्सव
मंदिर परिसर में प्रतिदिन पूजा-अर्चना, आरती और विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। भक्तगण भक्ति संगीत, कीर्तन और पारंपरिक नृत्यों का आनंद ले रहे हैं।
सुरक्षा इंतजाम और देशभर से पहुंचे श्रद्धालु
भारी भीड़ को देखते हुए मंडल और प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी है। पूरे इलाके में पुलिस बल तैनात है ताकि श्रद्धालुओं को असुविधा न हो। लालबागचा राजा की ख्याति केवल मुंबई तक सीमित नहीं, बल्कि देश-विदेश से भक्त यहां पहुंचते हैं।
लालबागचा राजा का इतिहास क्या है?
लालबागचा राजा मुंबई का प्रसिद्ध गणेश मंडल करोड़ों भक्तों की आस्था का केंद्र है। 1934 में स्थापित यह मंडल नवसाचा गणपति के रूप में जाना जाता है जहां गणेश चतुर्थी पर लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्थापित इसने धार्मिक आयोजनों के साथ सामाजिक एकता को भी बढ़ावा दिया।
लालबागचा राजा का मालिक कौन है?
1952 में उनके निधन के बाद, उनके सबसे बड़े बेटे वेंकटेश ने कार्यभार संभाला और उनके निधन के बाद, 2002 में रत्नाकर कांबली जूनियर ने यह ज़िम्मेदारी संभाली। वर्तमान में, रत्नाकर और उनके बेटे कांबली आर्ट्स में मूर्ति बनाते और उसकी सुरक्षा करते हैं। परिवार लालबागचा राजा के छोटे संस्करण भी बनाता है, जिनका उपयोग उत्सव के दौरान निजी तौर पर किया जाता है।
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