बस्तर। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में 208 नक्सलियों (Naxalites) ने एक साथ आत्मसमर्पण कर दिया है। इसे नक्सल विरोधी अभियान में एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। आत्मसमर्पण करने वालों में 110 महिलाएं और 98 पुरुष शामिल हैं, जो प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) संगठन के विभिन्न रैंकों से जुड़े थे। सभी ने 153 हथियारों के साथ पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया।
अबूझमाड़ क्षेत्र हुआ नक्सल प्रभाव से मुक्त
अधिकारियों के अनुसार, अबूझमाड़ का अधिकांश हिस्सा नक्सल प्रभाव से मुक्त हो गया है। इससे उत्तरी बस्तर में दशकों से जारी लाल आतंक का लगभग अंत हो गया है और नक्सल गतिविधियां अब मुख्य रूप से दक्षिणी बस्तर तक सीमित रह गई हैं।
आत्मसमर्पण करने वाले नेताओं और रैंकों की जानकारी
आत्मसमर्पण करने वालों में केंद्रीय समिति सदस्य, डीकेएसजेडसी सदस्य, क्षेत्रीय समिति सदस्य, संभागीय समिति सदस्य, एसीएम (ACM) पार्टी सदस्य और पीएलजीए/आरपीसी कार्यकर्ता शामिल हैं। शीर्ष माओवादी नेताओं में रूपेश उर्फ सतीश (Rupesh Alias Satish) भास्कर उर्फ राजमन मंडावी, रनिता, राजू सलाम, धन्नू वेट्टी उर्फ संटू और रतन एलम शामिल हैं।
हथियारों का जखीरा
आत्मसमर्पण के दौरान नक्सलियों ने भारी मात्रा में हथियार पुलिस को सौंपे, जिनमें 19 एके-47 राइफलें, 17 एसएलआर, 23 इंसास, 1 इंसास एलएमजी, 36 .303 राइफलें, 4 कार्बाइन, 11 बीजीएल लांचर, 41 बारह-बोर और सिंगल-शॉट बंदूकें तथा 1 पिस्तौल शामिल हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया और भविष्य की योजना
सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि यह आत्मसमर्पण नक्सलवाद उन्मूलन की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद के पूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है। अधिकारियों का मानना है कि नक्सलियों के हौसले टूट रहे हैं और सरकार की पुनर्वास नीति उन्हें मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित कर रही है।
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