राज्य के सीमा क्षेत्रों में मानव तस्करी (Human Trafficing) का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। पिछले छह महीनों में 100 से अधिक लड़कियों के गायब होने की घटनाओं ने स्थानीय लोगों में भय का माहौल पैदा कर दिया है। मामला अब राष्ट्रीय और राज्य मानवाधिकार आयोग की दहलीज़ तक पहुँच गया है।
मानवाधिकार आयोग में दो याचिकाएं दायर
मानवाधिकार मामलों के अधिवक्ता एस.के. झा (Advocate S k Jha) ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग में दो अलग-अलग याचिकाएँ दाखिल की हैं। झा ने कहा कि नेपाल, चीन, ब्राजील, सऊदी अरब सहित कई देशों में करोड़ों की संख्या में बेटियों की खरीद-फरोख्त हो रही है।
मोतिहारी से सटे भारत-नेपाल बॉर्डर पर तस्कर बड़े पैमाने पर सक्रिय हैं।
जुलाई से नवंबर तक 83 लड़कियां हुईं लापता
झा द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार—
- जुलाई: रक्सौल से 10, रामगढ़वा से 3, आदापुर से 4 लड़कियां
- अगस्त: रक्सौल अनुमंडल के कई क्षेत्रों से 18 लड़कियां
- सितंबर: विभिन्न इलाकों से 17, जिनमें एक विवाहिता भी
- अक्टूबर: 15
- नवंबर: 15
कुल मिलाकर पिछले छह माह में 100 से अधिक लड़कियां गायब हो चुकी हैं।
तस्करी का नेटवर्क कई देशों तक फैला
अधिवक्ता झा के अनुसार तस्कर लड़कियों का इस्तेमाल—
- नशीले पदार्थों की तस्करी
- विदेशों में फर्जी शादी कराकर बच्चा पैदा कराने
- ‘जेनरेशन चेंज’ जैसी अवैध गतिविधियों
- देह व्यापार
- बॉडी पार्ट्स की खरीद-फरोख्त
जैसे खतरनाक कृत्यों में करते हैं।
जम्मू-कश्मीर, पांडिचेरी, चीन, सऊदी अरब, दुबई और अर्जेंटीना जैसे देशों तक ऐसे नेटवर्क फैले हैं।
रेस्क्यू हुईं सिर्फ 12 लड़कियां, चार एक ही परिवार की
हाल के महीनों में मात्र 12 लड़कियां रेस्क्यू की जा सकी हैं, जबकि बाकी अब भी लापता हैं। बचाई गई लड़कियों में चार लड़कियां एक ही परिवार की थीं। लगातार हो रही घटनाओं ने सीमा क्षेत्र की जनता में गहरा भय पैदा कर दिया है।
मानवाधिकार आयोग से उच्चस्तरीय जांच की मांग
एस.के. झा ने अपनी याचिका में कहा कि यह मामला अत्यंत संवेदनशील है और मानवता को शर्मसार करता है। उन्होंने पुलिस और प्रशासन की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। झा ने आयोग से उच्चस्तरीय जांच और कठोर कार्रवाई की मांग की है।
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