नई दिल्ली,। भारत ने प्रोजेक्ट K-5 के स्टेज-2 रॉकेट मोटर की सफल स्टैटिक टेस्टिंग के बाद अब अत्याधुनिक K-5 बैलिस्टिक मिसाइल (Ballistic Missile) के अंतिम परीक्षण की तैयारी शुरू कर दी है। अनुमान है कि इस पनडुब्बी से दागी जाने वाली मिसाइल की मारक क्षमता करीब 5000 किलोमीटर होगी, जो भारत की समुद्री से लेकर सामरिक शक्ति को नई मजबूती देगी। इस मिसाइल का निर्माण डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) कर रहा है।
स्टेज-2 मोटर का परीक्षण सितंबर 2025 में सफल
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार स्टेज-2 रॉकेट मोटर का परीक्षण 12 सितंबर 2025 को नासिक के एडवांस्ड सेंटर फॉर एनर्जेटिक मैटेरियल्स (ACEM) में किया गया। इस परीक्षण से यह पुष्टि हुई कि गहरे समुद्र में उपयोग होने वाली प्रणोदन प्रणाली अपेक्षित स्तर पर काम कर रही है।
HD 1.3 कंपोजिट प्रणोदक से बढ़ी क्षमता
K-5 मिसाइल के लिए तैयार की गई रॉकेट मोटर की लंबाई 2,680 मिमी और व्यास 2,490 मिमी है।
यह मोटर अत्याधुनिक HD 1.3 कंपोजिट प्रणोदक का उपयोग करती है, जो अत्यधिक शक्तिशाली और अधिक दहन दक्षता प्रदान करने में सक्षम है। इस तकनीक से मिसाइल की रेंज और सटीकता दोनों में वृद्धि होती है।
K-5: भारत की दूसरी स्ट्राइक क्षमता को मजबूत करेगी
चीन और पाकिस्तान से मिलने वाली सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए भारत लंबे समय से मजबूत सेकंड स्ट्राइक कैपेबिलिटी बनाने पर काम कर रहा है।K-5 मिसाइल इस क्षमता को कई गुना बढ़ा देगी, क्योंकि इसे पनडुब्बियों से दागा जा सकता है—जिसकी लोकेशन दुश्मन को पता लगाना लगभग नामुमकिन होता है।
5000 किमी के भीतर चीन के बड़े शहर निशाने पर
K-5 मिसाइल की 5000 किलोमीटर की मारक क्षमता इसे अत्यधिक रणनीतिक महत्व देती है।
इस रेंज में चीन के कई बड़े शहर और सामरिक ठिकाने आते हैं, जिससे भारत की प्रतिरोधक क्षमता और भी मजबूत हो जाएगी।
K-4 और सागरिका के बाद K-5 सबसे शक्तिशाली
K-5 मिसाइल को भारत की मौजूदा पनडुब्बी-आधारित मिसाइलों
K-4 और सागरिका
से अधिक शक्तिशाली माना जा रहा है।
यह मिसाइल दुश्मन की जानकारी के बिना घातक और सटीक हमला करने में सक्षम होगी—यानी समुद्र में छिपकर की गई जवाबी कार्रवाई और भी प्रभावी हो जाएगी।
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