छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक (State Rural Bank) रिटायरीज एसोसिएशन, उत्तर बस्तर कांकेर इकाई द्वारा आयोजित पारिवारिक पुनर्मिलन समारोह इस बार एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना, जब पहली बार दिया गया ‘ हमर गौरव सम्मान’ प्रदेश की सांस्कृतिक अस्मिता और छत्तीसगढ़ी भाषा की आत्मा को उजागर करता हुआ विशिष्ट व्यक्तित्व डॉ. राजाराम त्रिपाठी (Dr Rajaram Tripathi) को प्रदान किया गया।
यह सम्मान प्रतीक के रूप में कर्मभूमि की श्रद्धा को समर्पित
यह सम्मान छत्तीसगढ़ी माटी की गंध, भाषा की गरिमा और कर्मभूमि की श्रद्धा को समर्पित प्रतीक के रूप में स्थापित किया गया है। इस अवसर पर डॉ. त्रिपाठी के साथ अलखराम सिन्हा और डॉ. लक्ष्मीनारायण खोब्रागड़े को भी शॉल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। यह आयोजन पूर्ववर्ती बस्तर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (स्टेट बैंक द्वारा प्रायोजित) के सेवानिवृत्त अधिकारी एवं कर्मचारियों का आत्मीय पारिवारिक पुनर्मिलन था, जिसमें प्रदेश के विभिन्न जिलों से लगभग 180 अधिकारी-कर्मचारी अपने परिवारजनों सहित सम्मिलित हुए।

बस्तर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के अधिकारी रहे हैं डॉ.राजाराम त्रिपाठी
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ.राजाराम त्रिपाठी पूर्व में बस्तर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के अधिकारी रहे हैं, जिन्होंने बैंक अधिकारी की प्रतिष्ठापूर्ण नौकरी से त्यागपत्र देकर जैविक खेती, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में अपने विशिष्ट कार्यों तथा उपलब्धियों से योगदान से राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई। वे आज माँ दंतेश्वरी ऑर्गेनिक हर्बल फ़ार्म और सेंट्रल हर्बल एग्रो मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (CHAMF) के संस्थापक एवं अध्यक्ष हैं। साथ ही वो नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड, आयुष-मंत्रालय भारत सरकार के तथा ‘भारतीय गुणवत्ता संस्थान’ की कृषि मशीनरी समिति के सदस्य हैं। उनके द्वारा विकसित उच्च उत्पादकता वाली काली मिर्च की किस्म माँ दंतेश्वरी ब्लैक पेपर-16 (MDBP-16) ने किसानों को नई दिशा दी है।
बैंक की सेवा ने मुझे कर्म और अनुशासन सिखाया : डॉ. त्रिपाठी
अपने संबोधन में डॉ. त्रिपाठी ने कहा, बैंक की सेवा ने मुझे कर्म और अनुशासन सिखाया, और यही संस्कार आगे चलकर मेरे जीवन का मार्गदर्शक बना। बैंक ने मुझे परिवार दिया, और खेती ने मुझे पहचान। बैंक की नौकरी छोड़ने की 25 वर्ष के बाद भी उन्होंने मंच से 50 से ज्यादा सीनियर्स व सहकर्मियों को पहचानते हुए उन्हें सीधे उनके नाम से संबोधित कर, उनसे संबंधित पुराने संस्मरणों को सुनाकर सबको चकित तथा भावविभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि यूं तो उन्हें कई पुरस्कार प्राप्त हुई है किंतु जिस संस्था में उन्होंने कितने वर्ष काम की उसे संस्था के द्वारा आज 25 वर्ष बाद सम्मानित किया जाना उनके लिए सबसे बड़ा सम्मान है।
Chhattisgarh का मूल निवासी कौन था?
छत्तीसगढ़ के मूल निवासी आदिवासी (जनजातीय समुदाय) माने जाते हैं। इनमें प्रमुख जनजातियाँ — गोंड, बैंगा, हल्बा, उरांव, मुरिया, भतरा, और कन्वर शामिल हैं।
Chhattisgarh का भगवान कौन है?
यहां छत्तीसगढ़ महादेव (भगवान शिव) को राज्य का प्रमुख देवता माना जाता है। इसके अलावा बुद्धदेव, मां दंतेश्वरी, मां बमleshwari, और महाप्रभु जी (संत घासीदास) भी अत्यंत पूजनीय हैं।
लोक आस्था के अनुसार, “बुधराज” या “बुद्धदेव” को “छत्तीसगढ़ का लोकदेवता” कहा जाता है।
छत्तीसगढ़ का पुराना नाम क्या था?
छत्तीसगढ़ का प्राचीन नाम “दक्षिण कोशल” (Dakshin Kosal) था।
यह नाम रामायण काल से जुड़ा है, क्योंकि भगवान श्रीराम की माता कौसल्या इसी प्रदेश की थीं।
बाद में “छत्तीसगढ़” नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इस क्षेत्र में 36 गढ़ (किलों) का समूह था।
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