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Nine Daughters: नौ बेटियों ने पकडी अध्यात्म की राह, समाजसेवा में अर्पित किया जीवन

Ajay Kumar Shukla
Ajay Kumar Shukla
Nine Daughters: नौ बेटियों ने पकडी अध्यात्म की राह, समाजसेवा में अर्पित किया जीवन

हैदराबाद। अध्यात्म (Spirituality) और संयम पथ पर चलते हुए नौ बेटियों ने अपना पूरा जीवन समाजसेवा, विश्व कल्याण में समर्पित कर दिया। अब इनके जीवन का एक ही लक्ष्य है स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के शांति सरोवर (Shanti Sarovar) रिट्रीट सेंटर, ग्लोबल पीस ऑडिटोरियम में नौ बेटियों का दिव्य समर्पण एवं अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया। इसमें बड़ी संख्या में संत-महात्मा सहित गणमान्य लोगों ने भाग लिया।

बेटियों ने परमात्मा को अपने जीवनसाथी के रूप में चुना: जगद्गुरु रामानुजाचार्य करपत्री महाराज

समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे जगद्गुरु रामानुजाचार्य करपत्री महाराज ने कहा कि मैं यह देखकर बहुत प्रसन्न हूं कि ये बहनें लक्ष्मी-नारायण का बैज पहनती हैं। इन्होंने परमात्मा को अपने जीवनसाथी के रूप में चुना है। एलुरु से आए श्री याज्ञवल्क्य राजाश्रम के पीठाधिपति वरिष्ठ डॉ. कृष्णचरणानंद भारती स्वामी ने कहा कि यह संस्था विश्व को एकता और सनातन धर्म का संदेश देने के लिए अद्भुत सेवा कर रही है।

मां को ही पहला गुरु कहा गया है : राजयोगिनी बीके ऊषा दीदी

अयोध्या धाम से आए कामधेनु मंदिर के महामंडलेश्वर आशुतोष महाराज ने कहा कि इन बहनों द्वारा शिव परमात्मा को अपना जीवन समर्पित करना अत्यंत प्रशंसनीय है। घर-परिवार का त्याग महान नहीं है, बल्कि त्याग की भावना का त्याग ही वास्तविक त्याग है और यही इन बहनों ने किया है। मुख्य वक्ता माउंट आबू से पधारीं अंतरराष्ट्रीय प्रेरक वक्ता राजयोगिनी बीके ऊषा दीदी ने कहा कि सनातनी व्यक्ति वही होता है जो अपना दिन ब्रह्ममुहूर्त से प्रारंभ करता है, जो किसी को दुःख नहीं देता। मां को ही पहला गुरु कहा गया है। आज ब्रह्माकुमारीज़ में अनेक ईसाई व मुस्लिम अनुयायी भी सनातन धर्म के सिद्धांतों को अपनाकर जीवन जी रहे हैं। कुछ लोग ब्रह्माकुमारीज़ के बारे में नकारात्मक प्रचार कर रहे हैं कि यह संस्था लोगों का ब्रेन वॉश करती है यह पूर्णतः असत्य और भ्रामक है।

ये दिव्य बहनें इस जन्म में शिव से विवाह करने के लिए समर्पित हुई

बीके ऊषा दीदी ने कहा कि पार्वतीजी की कथा का उल्लेख करते हुए कहा कि जिन्होंने सदाशिव को पति रूप में प्राप्त करने की कामना की थी, परंतु उन्हें अगले जन्म में यह प्राप्ति हुई। उसी प्रकार ये दिव्य बहनें इस जन्म में शिव से विवाह करने के लिए समर्पित हुई हैं। इस संस्था में लगभग 50 हजार बहनें हैं, जिन्होंने शिव को अपना जीवनसाथी के रूप में स्वीकर अपना जीवन समर्पित किया है। उन्होंने बताया कि सन् 1936 में दादा लेखराज को परमात्मा शिव से दिव्य दृष्टि प्राप्त हुए। परमात्मा ने उन्हें प्रजापिता ब्रह्मा नाम दिया और इस सृष्टि परिवर्तन के भागीरथी कार्य के निमित्त बनाया।

ये बहनें मानवता की सेवा के लिए स्वयं को अर्पित कर चुकी हैं : राजयोगिनी कुलदीप दीदी

कार्यक्रम में श्रीश्री 1008 चेन सिद्धराम पंडितार्थ शिवाचार्य श्रीशैल जगद्गुरु पीठाधिपति महेश स्वामी, हिंदूस फॉर प्ल्यूरैलिटी के संस्थापक अध्यक्ष रामण मूर्ति ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर शांति सरोवर की निदेशिका राजयोगिनी कुलदीप दीदी ने कहा कि आज मैं बहुत प्रसन्न हूँ कि इन बहनों को सभी गुरुओं और इस पुण्य सभा से अपार आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है। आज समर्पण का दिन है। ये बहनें मानवता की सेवा के लिए स्वयं को अर्पित कर चुकी हैं। जो व्यक्ति श्रेष्ठ गुणों को अपने जीवन में धारण करता है, वही धर्मात्मा कहलाता है। गान कोकिला सम्मान से सम्मानित बीके विष्णुप्रिया बहन ने सुंदर गीतों की प्रस्तुति दी। वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके अंजली बहन ने संचालन किया।

ब्रह्माकुमारी संस्था क्या है?

ब्रह्माकुमारी कोई पारंपरिक धर्म (जैसे कि हिन्दू, इस्लाम, ईसाई आदि) नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक आंदोलन (spiritual movement) है, जिसकी शुरुआत 1930 के दशक में भारत में हुई थी। इसका आधिकारिक नाम है “ब्रह्मा कुमारीज़ विश्व विद्यालय”

ब्रह्मा कुमारिस सेंटर में क्या होता है?

ब्रह्माकुमारी के स्थानीय सेंटर (आश्रम या सेवा केंद्र) में मुख्य रूप से आध्यात्मिक शिक्षा और राजयोग ध्यान सिखाया जाता है।

ब्रह्माकुमारी कौन सा धर्म है?

यह एक आध्यात्मिक आंदोलन है जो सभी धर्मों का सम्मान करते हुए, मानव आत्मा की शुद्धता और परमात्मा से संबंध की बात करता है।

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