नई दिल्ली । बिहार विधानसभा चुनाव में कई उम्मीदवारों के नामांकन रद्द हुए हैं। चुनाव आयोग (Election Commission) की जांच में इनके दस्तावेज में कई बड़ी गलतियां सामने आई हैं। बिहार में मोहनिया विधानसभा क्षेत्र से महागठबंधन की उम्मीदवार श्वेता सुमन (Shweta Suman) सुगौली विधानसभा सीट से राजद विधायक शशि भूषण सिंह, और लोजपा (आर) की छपरा मढ़ौरा सीट से प्रत्याशी सीमा सिंह (Seema Singh) सहित कई अन्य उम्मीदवारों का नामांकन रद्द हो चुका है।
किन वजहों से रद्द होता है उम्मीदवारों का नामांकन
दरअसल नामांकन पत्र या जरूरी दस्तावेज समय पर जमा नहीं किए गए, नामांकन पत्र उम्मीदवार या प्रस्तावक की जगह किसी और ने जमा किया, नामांकन पत्र पर उम्मीदवार या प्रस्तावक के हस्ताक्षर का मिलान नहीं हो पाना, नामांकन के लिए प्रस्तावकों की संख्या पूरी नहीं होना, उम्मीदवार उस वर्ग से नहीं होना जिसके लिए सीट आरक्षित की गई है, प्रस्तावक का उस विधानसभा क्षेत्र का मतदाता नहीं होना, उम्मीदवार द्वारा नामांकन के साथ निर्धारित प्रारूप में हलफनामा नहीं देना, हलफनामे में कॉलम खाली छोड़ना और नोटिस के बाद भी नया हलफनामा नहीं देना — ये सभी प्रमुख कारण हैं जिनसे नामांकन रद्द किया जा सकता है।
नामांकन रद्द होने के बाद क्या हैं उम्मीदवार के कानूनी विकल्प
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, एक बार नामांकन रद्द होने पर उम्मीदवार की उम्मीदवारी तुरंत बहाल नहीं हो सकती है। लेकिन ऐसे उम्मीदवारों के पास दो कानूनी विकल्प मौजूद होते हैं—
पहला, पुनर्विचार याचिका दायर करना, जिसके माध्यम से उम्मीदवार यह साबित करने की कोशिश कर सकता है कि नामांकन रद्द करने की प्रक्रिया में कोई गलती हुई थी।
दूसरा, न्यायिक अपील का विकल्प, जिसके तहत उम्मीदवार हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर सकता है। हालांकि यह प्रक्रिया लंबी होती है और चुनाव की समय-सारणी को प्रभावित नहीं करती।
सीमा सिंह को मिला था त्रुटि सुधारने का मौका
निर्वाचन पदाधिकारी के मुताबिक, चिराग पासवान की पार्टी की उम्मीदवार सीमा सिंह को त्रुटि सुधारने का मौका दिया गया था, लेकिन वह समय पर संशोधित फॉर्म जमा नहीं कर सकीं। इस कारण रिटर्निंग ऑफिसर ने नियमानुसार उनका नामांकन खारिज किया।
अगर नाम या पते में मामूली वर्तनी की गलती होती है, तो चुनाव आयोग ऐसे मामलों में सुधार का अवसर दे सकता है।
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