सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्य प्रदेश के डीजीपी को आदेश दिया था कि वे मामले की जांच के लिए तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एसआईटी गठित करें। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद, मध्य प्रदेश के डीजीपी ने विजय शाह मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया है।
भोपाल: भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी के संदर्भ में मंत्री विजय शाह द्वारा दिए गए विवादित बयान पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए मध्य प्रदेश के डीजीपी को तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मध्य प्रदेश के डीजीपी ने विजय शाह मामले में एसआईटी का गठन कर दिया है
डीजीपी ने इस संबंध में एसआईटी गठित करते हुए आदेश जारी किया है।
आदेश में लिखा गया है, “माननीय उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली द्वारा प्रकरण क्रमांक Diary No-27093/2025 कुंवर विजय शाह विरुद्ध उच्च न्यायालय, म.प्र. एवं अन्य में पारित निर्णय दिनांक 19.05.2025 के पालन में जिला इंदौर के थाना मानपुर के अपराध क्रमांक 188/25 धारा 152, 196 197 भारतीय दंड संहिता 2023 की विवेचना हेतु निम्नलिखित तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की विशेष जांच टीम गठित की जाती है:
- आईपीएस अधिकारी श्रीमती राधिका श्रीवास्तव
- आईपीएस अधिकारी श्री अनिल यादव
- आईपीएस अधिकारी श्री आलोक वर्मा
यह एसआईटी अपने कार्य की रिपोर्ट 28 मई तक सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश करेगी।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामले में कार्रवाई शुरू
सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी को विजय शाह मामले में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एसआईटी गठित करने को कहा।
कोर्ट ने डीजीपी से कहा कि मंगलवार 10 बजे तक IG रैंक की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय SIT बने।
डीजीपी ने एसआईटी में तीन आईपीएस अधिकारी शामिल किए, जो मध्य प्रदेश के मूल निवासी नहीं हैं।
एसआईटी में शामिल अधिकारियों के नाम हैं:
- प्रमोद वर्मा आईजी सागर जोन
- कल्याण चक्रवर्ती डीआईजी एसएएफ
- वाहिनी सिंह एसपी डिंडोरी
स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम अपनी स्टेटस रिपोर्ट 28 मई तक सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश करेगी।
सुप्रीम कोर्ट में विजय शाह मामले की सुनवाई
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने कैबिनेट मंत्री कुंवर विजय शाह को भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ उनकी विवादित टिप्पणी के लिए कड़ी फटकार लगाई।
इसके अलावा, कोर्ट ने मंत्री के माफी मांगने को ‘मगरमच्छ के आंसू’ करार देते हुए कहा कि वह मंत्री द्वारा दी गई माफी को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सोफिया कुरैशी ने आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के बारे में मीडिया को जानकारी दी थी।