जन्माष्टमी (16 अगस्त) पर जन-जन के आराध्य ठाकुर (Aradhya Thakur) जी के मंदिरों में भगवान की पोशाक और खानपान का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। थाईलैंड, सिंगापुर सहित अन्य देशों के फूलों से भगवान का शृंगार करने के साथ ही विशेष माला भी तैयार की जा रही है। कहीं वृंदावन (Vrindavan) के कलाकार ठाकुर जी की पोशाक तैयार की है। शहर आराध्य गोविंद देव जी मंदिर की पोशाक शहर के कारीगरों ने तैयार की है।
मंदिर प्रबंधक मानस गोस्वामी ने बताया कि पर्व पर ठाकुर जी की चार बार पोशाक बदली जाएगी। पीले रंग की रेशमी जरदोजी, पारचा, लप्पा व जामा पोशाक को तैयार होने में कई दिन लगे हैं। पोशाक के लिए चार महीने पहले सैंपल तैयार किया जाता है। महंत अंजन कुमार गोस्वामी की ओर से सैंपल पास करने के बाद पोशाक बनने में दो माह लगे हैं। पूरी पोशाक को हाथ से तैयार किया है।
लाखों रुपए की कीमती पोशाक
मानसरोवर, धौलाई स्थित इस्कॉन मंदिर (Iscon Temple) में भगवान कृष्ण को पीले सहित अन्य रंग की पोशाक धारण करवाई जाएगी। अध्यक्ष पंचरत्ना दास ने बताया कि राधा मदन मोहन, गिरधारी दाउजी, भगवान चैतन्य महाप्रभु व नित्यानंद महाप्रभु की पोशाक तीन लाख 60 हजार रुपए में तैयार हुई है। इसमें सिल्क के कपड़े के अलावा आभूषण, मुकुट की लागत भी शामिल है। बच्चों की प्रतियोगिताओं के साथ शाम को 108 स्वर्ण, रजत कलशों से विभिन्न औषधियों से अभिषेक होंगे। वहीं रविवार को नंदोत्सव के साथ मंदिर संस्थापक आचार्य प्रभु पाद का आविर्भाव महोत्सव के तहत कई कार्यक्रम होंगे। आर्किड सहित अन्य विदेशी फूलों से भगवान का विशेष शृंगार होगा।
नवरत्न धारण करेंगे कृष्ण-बलराम
जगतपुरा स्थित कृष्ण बलराम मंदिर में इस बार यशोदानंदन मंगला आरती में नवरत्न धारण करेंगे। वृंदावन में तैयार कराई गई विशेष पोशाक पर जरदोजी की कढ़ाई की गई है। भगवान के लिए पुष्प अलंकार (फूलों के आभूषण) कर्नाटक से मंगवाए गए हैं। पूरे मंदिर परिसर को देश के अलग-अलग जगहों से मंगवाए गए फूलों से सजाया गया है। मध्यरात्रि को महाआरती के साथ जड़ी-बूटियों व पंचामृत से महाभिषेक होगा।
ठाकुर जी का इतिहास क्या है?
ठाकुर जी, एक लोकप्रिय संबोधन, विशेष रूप से भगवान कृष्ण के लिए उपयोग किया जाता है, और यह शब्द “ठाकुर” से आया है, जिसका अर्थ “स्वामी” या “नेता” होता है. ठाकुर शब्द का उपयोग विभिन्न संदर्भों में किया जाता है, जिसमें भगवान, राजा, या किसी क्षेत्र के प्रमुख व्यक्ति को संदर्भित करना शामिल है.
ठाकुर जाति के कौन से भगवान थे?
भगवान श्री कृष्ण क्षत्रिय थे, क्योंकि वह क्षत्रिय वासुदेव और देवकी के पुत्र थे, उनका ग्वालों में सिर्फ पालन पोषण हुआ था | यदुवंशी क्षत्रिय- जड़ेजा, चंदेल, भाटी, जादौन अन्य क्षत्रिय (राजपूत) है, 1920 के बाद ‘ग्वाल समाज” द्वारा ‘यादव’ सरनेम लिखा गया फिर यदुवंशी और अब क्षत्रिय
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