उत्तर प्रदेश के अमरोहा (Amroha) में रविवार देर रात एक हृदय विदारक हादसा हुआ, जिसने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया. बिस्तर पर सोए महज 23 दिन के नवजात की दम घुटने से मौत हो गई. बताया जा रहा है कि बच्चा अपने मां-बाप के बीच में सोया हुआ था, तभी नींद में किसी की करवट बच्चे पर पड़ गई और उसकी सांसें थम गईं. अगली सुबह जब मां की नींद टूटी तो अपने लाल को निढाल देखकर वह चीख पड़ी।
आनन-फानन में परिजन बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे, लेकिन डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया. शादी के चार साल बाद दंपति के घर गूंजी यह पहली किलकारी कुछ ही हफ्तों में मातम में बदल गई. मासूम की मौत से पूरे घर में कोहराम मच गया है. अस्पताल में पति-पत्नी ने एक-दूसरे पर लापरवाही के आरोप लगाते हुए झगड़ा तक शुरू कर दिया, जिसे परिजनों ने बड़ी मुश्किल से शांत कराया।
अमरोहा के गजरौला क्षेत्र के सिहाली जागीर गांव (Manor village) के इस दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है. गांव के लोग इस दर्दनाक घटना को दुख जाहिर करते हुए ‘कुदरत की क्रूर विडंबना’ बता रहे हैं. हादसे के बाद से परिवारजन गम में डूबे हैं और मां बार-बार अपने बच्चे की कपड़े और खिलौने देखकर फूट-फूटकर रो उठती है।
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शादी के चार साल बाद हुआ था बच्चा
जानकारी के अनुसार, रविवार देर शाम दंपति अपने नवजात को बीच में सुलाकर सो गया था. सुबह लगभग आठ बजे नींद टूटने पर जब मां ने बच्चे को देखा तो वो बदहवास पड़ा था. उसके शोर मचाने पर परिवार वाले जागे और बच्चे को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने मौत की पुष्टि कर दी. परिजनों के मुताबिक, शादी के चार साल बाद यह पहला बच्चा था, जिसे कुदरत ने उनसे छीन लिया।
अपनी किस्मत को कोस रहे पति-पत्नी
सीएचसी प्रभारी के अनुसार, प्राथमिक जांच में नवजात की मौत दम घुटने से होना पाई गई है. उन्होंने बताया कि परिजनों ने किसी पर शिकायत दर्ज नहीं कराई, इसलिए कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई. घटना के बाद गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है. घर लौटे माता-पिता अपनी किस्मत को कोसते हुए एक-दूसरे से सवाल कर रहे हैं कि आखिर किसकी गलती से उनके जिगर का टुकड़ा हमेशा के लिए चला गया. दुख से टूटे परिजनों की आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
अमरोहा किस लिए प्रसिद्ध है?
यह छोटा सा कस्बा मुख्य रूप से ढोलक व तबला के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है । यहा पर अनेकों लघु उद्योग हैं जो ढोलकों व अन्य बीटिंग वाद्य यंत्रों के निर्माण में सलग्न हैं । इन यंत्रों के खोखले ब्लाक्स के निर्माण के लिए आम व शीशम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें बाद में जानवरों के चमड़े से मढ़ा जाता है ।
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