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Bihar : पटना साहिब गुरुद्वारे को बम से उड़ाने की धमकी, मचा हड़कंप

Anuj Kumar
Anuj Kumar
Bihar : पटना साहिब गुरुद्वारे को बम से उड़ाने की धमकी, मचा हड़कंप

पटना साहिब गुरुद्वारे को आरडीएक्स (RDX) से उड़ाने की धमकी मिलने के बाद प्रबंधन और श्रद्धालुओं में दहशत फैल गई। बताया जा रहा है कि गुरुद्वारे के आधिकारिक ईमेल पर एक संदिग्ध मेल आया, जिसमें दावा किया गया कि लंगर हॉल (Langer Hall) में आरडीएक्स रखा गया है। जैसे ही यह मेल पढ़ा गया, गुरुद्वारे की सुरक्षा व्यवस्था तत्काल बढ़ा दी गई।

मेल में क्या लिखा था?

धमकी भरे मेल में लिखा गया कि विस्फोट से पहले वीवीआईपी और कर्मचारियों को बाहर निकाल लिया जाए। साथ ही मेल भेजने वाले ने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ (Pakistan Jindabad) और ‘आईएसआई जिंदाबाद’ जैसे नारे भी लिखे, जिसे पढ़ते ही हड़कंप मच गया।

पुलिस, बम स्क्वाड और डॉग स्क्वाड पहुंचे मौके पर

सूचना मिलते ही गुरुद्वारे के आसपास अफरा-तफरी का माहौल हो गया। तुरंत चौक थाना पुलिस, वरीय अधिकारी, बम स्क्वाड और डॉग स्क्वाड की टीम मौके पर पहुंची। पूरे गुरुद्वारा परिसर को घेरकर तलाशी अभियान चलाया गया। साथ ही श्रद्धालुओं को सुरक्षित बाहर निकालने की व्यवस्था की गई।

गुरुद्वारे में सख्त सुरक्षा, जांच तेज

पटना साहिब गुरुद्वारा सिख समुदाय का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। ऐसे में धमकी ने प्रबंधन की चिंता और बढ़ा दी। बम स्क्वाड की टीम ने गुरुद्वारे की गहन जांच की, वहीं साइबर सेल को भी धमकी भरा मेल सौंप दिया गया है

मेल की सत्यता की जांच कर रही पुलिस

फिलहाल पुलिस मेल की सत्यता की पड़ताल कर रही है और यह पता लगाने में जुटी है कि धमकी भरे मेल के पीछे किसका हाथ है

पटना का गुरुद्वारा किसके लिए और क्यों प्रसिद्ध है?

तख्त श्री हरमंदिर जी, जिसे पटना साहिब भी कहा जाता है, बिहार की राजधानी पटना में स्थित एक अत्यंत पवित्र सिख तीर्थस्थल है। यह गुरुद्वारा दसवें सिख गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी की जन्मस्थली है। सन् 1666 में जन्मे गुरु जी के जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाएं यहीं घटी थीं।

पटना में कौन सा गुरुद्वारा प्रसिद्ध है?

पटना साहेब गुरुद्वारा तख्त श्री पटना साहिब को तख्त श्री हरि मंदिर जी, पटना साहिब के नाम से भी जाना जाता है, यह भारत के बिहार राज्य के पटना में स्थित सिखों के पांच तख्तों में से एक है। तख्त का निर्माण 18वीं शताब्दी में गुरु गोबिंद सिंह के जन्मस्थान को चिह्नित करने के लिए महाराजा रणजीत सिंह द्वारा करवाया गया था।

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