झारखंड के पलामू जिले (Palamu District) में पुलिस और प्रतिबंधित संगठन तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी (TSPC) के नक्सलियों के बीच बुधवार देर रात भीषण मुठभेड़ हुई। इसमें दो जवान शहीद हो गए, जबकि एक जवान गंभीर रूप से घायल हो गया। घटना पलामू एसपी रीष्मा रमेशन ने मुठभेड़ और जवानों की शहादत की पुष्टि की है। मनातू थाना क्षेत्र के केदल जंगल में रात करीब 1 से 1:30 बजे के बीच हुई।
इनामी नक्सली था निशाने पर
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि टीएसपीसी का 10 लाख का इनामी जोनल कमांडर (Zonal Commandar) शशिकांत गंझू करमा पर्व के दौरान अपने गांव केदल पहुंच सकता है। इसी सूचना के आधार पर ऑपरेशन चलाया गया। मुठभेड़ के बाद इलाके में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। घायल जवान को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।
श्रद्धांजलि और सतर्कता
शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी गई है। पुलिस और सुरक्षाबल क्षेत्र में लगातार सर्च ऑपरेशन कर रहे हैं ताकि नक्सलियों को पकड़कर कानून के दायरे में लाया जा सके।
अचानक शुरू हुई गोलीबारी
गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने विशेष सर्च अभियान चलाया। जैसे ही पुलिस टीम गांव के करीब पहुंची, नक्सलियों को इसकी भनक लग गई। इनामी नक्सली शशिकांत गंझू और उसके दस्ते ने अचानक गोलीबारी शुरू कर दी। पुलिस ने भी मोर्चा संभालते हुए जवाबी कार्रवाई की। गोलीबारी के दौरान तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। सभी को तुरंत डालटनगंज स्थित मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ले जाया गया। डॉक्टरों ने जांच के बाद दो जवानों को मृत घोषित कर दिया।
शहीद जवानों की पहचान
शहीद जवानों की पहचान संतन कुमार और सुनील राम के रूप में हुई है। इनमें से एक जवान पलामू एएसपी का अंगरक्षक था। तीसरे घायल जवान का इलाज जारी है और उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। यह इलाका लंबे समय से टीएसपीसी का गढ़ माना जाता है। शशिकांत गंझू पलामू और चतरा जिलों में संगठन की गतिविधियों को नियंत्रित करता रहा है। उस पर झारखंड सरकार ने 10 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा है।
लगातार मिल रही थी सूचना
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, शशिकांत और उसके दस्ते की इलाके में सक्रियता की लगातार सूचना मिल रही थी। इसी वजह से पुलिस ने अभियान चलाया था। मुठभेड़ के बाद सुरक्षा बलों ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया है और तलाशी अभियान जारी है। आसपास के गांवों में भी पुलिस ने चौकसी बढ़ा दी है।
नक्सलियों की मुख्य मांग क्या है?
नक्सलियों की मुख्य मांगें भूमि, वन और खनिज संपदा पर आदिवासियों के अधिकार, कृषि श्रमिकों और भूस्वामियों के बीच वर्ग संघर्ष की समाप्ति, तथा ग्रामीण क्षेत्रों में शोषित वर्गों के लिए अधिक सुरक्षा से संबंधित हैं. वे एक माओवादी विचारधारा का पालन करते हैं जो भारत सरकार के विरुद्ध ग्रामीण विद्रोह और जनयुद्ध लड़ने का दावा करती है.
भारत में कितने नक्सलवाद हैं?
गौरतलब हो, 2014 में 330 पुलिस थाने ऐसे थे जहां नक्सली घटनाएं हुईं, लेकिन अब ये संख्या घटकर 104 रह गई है। पहले नक्सल प्रभावित क्षेत्र 18,000 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा में फैला था, जो अब सिर्फ 4,200 वर्ग किलोमीटर में फैला है। 2004 से 2014 के बीच नक्सल हिंसा की कुल 16,463 घटनाएं हुईं।
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