उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को 18 अगस्त 2025 को मऊ के एमपी-एमएलए कोर्ट में 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता उल्लंघन के एक मामले में जमानत मिल गई है। यह मामला मऊ के हलधरपुर थाना क्षेत्र के रतनपुरा बाजार में 17 मई 2019 को आयोजित एक चुनावी जनसभा से संबंधित है, जहां राजभर ने अपने भाषण में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं के खिलाफ कथित तौर पर अपशब्दों और भद्दी टिप्पणियों का उपयोग किया था।
रुद्रभान पांडेय ने दर्ज़ कराइ थी FIR
इस घटना के बाद उड़न दस्ते के अधिकारी रुद्राभन पांडे ने हलधरपुर थाने में लिखित तहरीर देकर राजभर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें आचार संहिता उल्लंघन और अभद्र भाषा के उपयोग का आरोप लगाया गया था। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान, ओमप्रकाश राजभर ने रतनपुरा बाजार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि भाजपा कार्यकर्ता उनके प्रत्याशी महेंद्र राजभर को हराने और उनके समाज के वोटों को हथियाने के लिए अफवाहें फैला रहे हैं।
उन्होंने कथित तौर पर यह भी कहा था कि यदि कोई भाजपा कार्यकर्ता ऐसा करते पकड़ा जाए, तो उसे “पहले 10 जूते मारो।” इस बयान से भाजपा कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी फैल गई थी, और इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना गया। इस आधार पर रुद्राभन पांडे, जो उस समय उड़न दस्ते के प्रभारी थे, ने 18 मई 2019 को हलधरपुर थाने में शिकायत दर्ज की थी।
लोकतांत्रिक मर्यादाओं का हुआ उल्लंघन
इस शिकायत में कहा गया था कि राजभर के बयान से न केवल लोकतांत्रिक मर्यादाओं का उल्लंघन हुआ, बल्कि यह चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को भी प्रभावित करने वाला था। 18 अगस्त 2025 को मऊ के एमपी-एमएलए कोर्ट में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रियंका आजाद के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई। ओमप्रकाश राजभर ने कोर्ट में सरेंडर किया और जमानत के लिए अर्जी दी।
कोर्ट ने उनके तर्कों और प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर उन्हें जमानत दे दी। कोर्ट परिसर से बाहर निकलते समय राजभर ने मीडिया से बातचीत में कहा, “2019 में रतनपुरा बाजार में एक चुनावी भाषण के दौरान आचार संहिता से संबंधित एक मामला दर्ज हुआ था। मुझे कोर्ट से नोटिस मिला था, और संविधान का सम्मान करते हुए मैं आज पेश हुआ। कोर्ट ने मुझे जमानत दे दी है।” उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें मामले की पूरी जानकारी नहीं है और यह संभवतः चुनावी बयानबाजी या काफिले से संबंधित हो सकता है।
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