पीएम मोदी ने राइजिंग भारत समिट में तुष्टिकरण की राजनीति पर खोला राज

तुष्टिकरण की राजनीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नेटवर्क 18 के राइजिंग भारत समिट में तुष्टिकरण की राजनीति पर गहरी तबसरा की। उन्होंने कहा कि यह राजनीति इंडिया की सामाजिक न्याय की मूल अवधारणा के विरुद्ध थी और इसे वोट बैंक की राजनीति का हथियार बना दिया गया था। पीएम मोदी ने साफ तौर पर कहा कि, “अलग देश का विचार सामान्य मुस्लिम कुटुंब का नहीं था, बल्कि कुछ कट्टरपंथियों का था।” उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इस विचार को प्रोत्साहित किया ताकि वे सत्ता के अकेले दावेदार बन सकें।

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तुष्टिकरण की राजनीति: कांग्रेस की गलती और इसके दुष्परिणाम

प्रधानमंत्री ने कहा कि दशकों तक राष्ट्रीय चुनौतियों को पहचानने के बजाय उन्हें राजनीतिक फायदे के लिए दबा दिया गया। भारत के इतिहास में तुष्टिकरण की राजनीति ने समाज में असमानताएँ बढ़ाई और समाज के कमजोर वर्ग को सिर्फ उपेक्षा, बेरोज़गारी और अन्याय ही मिला। पीएम मोदी ने उदाहरण के तौर पर शाह बानो केस का जिक्र किया, जिसमें मुस्लिम महिलाओं को न्याय नहीं मिला था।

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उन्होंने यह भी कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति से कट्टरपंथियों को ताकत और दौलत मिली, लेकिन आम मुसलमान को सिर्फ उपेक्षा मिली। पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि अब समय आ गया है कि हम उन मुद्दों से आंख न चुराएं और उन्हें सही तरीके से पहचानें।

तुष्टिकरण की राजनीति

वक्फ कानून में संशोधन: मुस्लिम समाज और देश के लिए बड़ा कदम

प्रधानमंत्री मोदी ने वक्फ कानून में हाल ही में हुए संशोधन पर चर्चा की, जिसे लेकर देशभर में लंबी बहस हुई। उन्होंने कहा कि यह संशोधन मुस्लिम समाज के लिए एक सकारात्मक कदम है, क्योंकि अब वक्फ की पवित्र भावना की रक्षा की जाएगी और गरीब, पासमांदा मुसलमानों के हक भी सलामत रहेंगे।

वक्फ बिल पर संसद में हुई लंबी बातचीत को लेकर उन्होंने कहा, “यह हमारे संसदीय इतिहास की दूसरी सबसे लंबी डिबेट थी।” इस बिल पर 16 घंटे तक बहस हुई और 38 बैठकें आयोजित की गईं। पीएम मोदी ने यह भी बताया कि इस बिल से देशभर से एक करोड़ ऑनलाइन सुझाव आए, जिससे लोकतंत्र की पक्का भागीदारी का प्रतीक मिलता है।

निष्कर्ष

पीएम मोदी ने अपने भाषण में स्पष्ट किया कि अब देश को तुष्टिकरण की राजनीति से बाहर निकलकर समाज के हर वर्ग के हितों को सुनिश्चित करने की आशा है। वक्फ कानून का संशोधन इस दिशा में एक अपरिहार्य कदम है, जो मुस्लिम समाज के उत्थान और देश की सामाजिक न्याय की अवधारणा को मजबूत करेगा।

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