नई दिल्ली, 18 सितंबर 2025: कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने गुरुवार को इंदिरा भवन ऑडिटोरियम में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने 2024 लोकसभा (Loksabha) चुनावों में ‘वोट चोरी’ के पुख्ता सबूत पेश किए। उन्होंने इस मुद्दे को ‘हाइड्रोजन बम’ जैसा विनाशकारी खुलासा बताया, जो लोकतंत्र के लिए परमाणु बम से भी बड़ा खतरा है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कर्नाटक के महादेवपुरा और आलंद क्षेत्रों में मतदाता सूची से हजारों वोट डिलीट होने के वीडियो और दस्तावेज दिखाए, जिससे विपक्षी दलों में हड़कंप मच गया। राहुल ने इसे सिस्टम हाईजैकिंग करार दिया और सरकार व चुनाव आयोग पर निशाना साधा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस की मुख्य घटनाएँ: गोडाबाई का वीडियो और सबूतों का तूफान
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत कर्नाटक के आलंद क्षेत्र की बुजुर्ग महिला गोडाबाई के वीडियो से की। गोडाबाई ने बताया कि उनके नाम पर 12 वोट डिलीट हो गए थे, जबकि वे खुद तो वोट डालने गई ही नहीं। राहुल ने कहा, “यह सिर्फ एक उदाहरण है। आलंद में कुल 6,018 वोट डिलीट किए गए। महादेवपुरा में तो एक लाख से ज्यादा वोट चुराए गए।” उन्होंने एक बूथ-लेवल अधिकारी का उदाहरण दिया, जिसके चाचा का वोट डिलीट हो गया था। जांच में पता चला कि पड़ोसी ने इसे डिलीट किया, लेकिन न डिलीट करने वाले को पता था, न ही जिसका वोट गया, उसे।
राहुल ने दावा किया, “किसी ताकत ने सिस्टम हाईजैक करके वोट डिलीट किए। मैं पुख्ता सबूतों के साथ बोल रहा हूं। देश का दलित और ओबीसी इनके निशाने पर है।” उन्होंने जोर देकर कहा, “मुझे अपने देश और संविधान से प्यार है। मैं संविधान की रक्षा करूंगा।”
‘हाइड्रोजन बम’ का मतलब: लोकतंत्र पर ‘परमाणु हमला’
राहुल ने ‘वोट चोरी’ को ‘हाइड्रोजन बम’ कहा, जो थर्मोन्यूक्लियर हथियार है – परमाणु बम से लाखों गुना ज्यादा विनाशकारी। उन्होंने कहा, “यह खुलासा इतना बड़ा है कि इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी देश को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे।” बिहार की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान उन्होंने इसकी झलक दी थी, जहां उन्होंने 2024 चुनावों में गड़बड़ियों का जिक्र किया था। हाइड्रोजन बम को दुनिया के कुछ ही देशों के पास होने वाला हथियार बताया गया, जो लाखों जिंदगियां ले सकता है। राहुल का इशारा साफ था – यह लोकतंत्र पर सीधा हमला है।
वोटर अधिकार यात्रा: बिहार से शुरू हुई जंग
राहुल की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ बिहार में समाप्त हुई, जहां उन्होंने चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए। यात्रा के दौरान कर्नाटक और महाराष्ट्र की कई सीटों पर वोट चोरी के उदाहरण दिए गए। राहुल ने कहा, “हम मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए सड़क पर उतरेंगे। यह यात्रा जारी रहेगी।” यात्रा ने दलित-ओबीसी समुदायों को निशाना बनाने का आरोप लगाया, जो विपक्ष की रणनीति का हिस्सा लगता है।
सरकार और चुनाव आयोग पर हमला: शरद पवार का साथ
राहुल ने अप्रत्यक्ष रूप से मोदी सरकार और चुनाव आयोग (ECI) को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “300 सांसदों ने संसद से बाहर प्रदर्शन किया, लेकिन ECI उनसे मिलने को तैयार नहीं।” राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार ने समर्थन देते हुए कहा, “राहुल ने कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसी सीटों के ठोस विवरण ECI के सामने रखे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।” बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने पलटवार किया, “यह प्रेस कॉन्फ्रेंस लोकतंत्र पर हमला है। राहुल हार मान लें।”
निहितार्थ: विपक्ष की नई रणनीति या राजनीतिक ड्रामा?
यह प्रेस कॉन्फ्रेंस 2024 चुनावों के बाद विपक्ष की आक्रामकता को दर्शाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि राहुल का ‘हाइड्रोजन बम’ वाला बयान आने वाले चुनावों में मुद्दा बनेगा, खासकर 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों में। हालांकि, सरकार इसे ‘तुच्छ राजनीति’ बता रही है। राहुल ने अंत में कहा, “हम चुप नहीं बैठेंगे। यह लड़ाई संविधान की रक्षा की है।”
कुल मिलाकर, यह प्रेस कॉन्फ्रेंस विपक्ष के लिए एक बड़ा हथियार साबित हो सकती है, लेकिन ECI की प्रतिक्रिया पर सबकी नजरें हैं। क्या यह ‘वोट चोरी’ का अंतिम अध्याय होगा?
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