काठमांडू: भारत के पड़ोसी देश नेपाल में जेनरेशन-जेड (Gen-Z) आंदोलन ने पूरे राजनीतिक परिदृश्य को हिला दिया है। इस आंदोलन ने न केवल भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठाया, बल्कि इसका नेतृत्व करने वाले सुदान गुरुंग(Sudan Gurung) ने चार बार के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को भी इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया। गुरुंग की यह यात्रा 2015 के विनाशकारी भूकंप(Earthquake) से शुरू हुई थी। उस समय, गुरुंग(Sudan Gurung) एक नाइटलाइफ आयोजक थे, लेकिन भूकंप ने उनकी जिंदगी बदल दी। एक बच्चे को अपनी बाहों में मरते हुए देखकर उन्होंने ‘हामी नेपाल’ नामक एक स्वयंसेवी समूह की स्थापना की, जिसकी शुरुआत दान में मिले चावल के बोरों से हुई थी। यही समूह बाद में Gen-Z आंदोलन का आधार बना।
‘हामी नेपाल’ का उदय और अनुशासन
भूकंप के बाद, गुरुंग ने ऑनलाइन मदद की अपील की और करीब 200 स्वयंसेवक उनके साथ जुड़ गए। उन्होंने मिलकर गांवों में राहत सामग्री पहुँचाई और घायलों की मदद की। यह अनौपचारिक नेटवर्क जल्द ही ‘हामी नेपाल’ (हम नेपाल) (Hami Nepal) में बदल गया, जिसने 2020 तक एक गैर-सरकारी संगठन के रूप में पंजीकरण कराया और इसके 1600 से अधिक सदस्य हो गए। इस संगठन की खासियत इसका अनुशासन और गुरुंग का नेतृत्व था, जो बयानबाजी के बजाय जमीनी स्तर पर काम करने पर ध्यान केंद्रित करता था। इस संगठित प्रयास ने युवाओं में गुरुंग(Sudan Gurung) पर विश्वास पैदा किया, जिससे वे एक नेता के रूप में उभरे।
विरोध प्रदर्शन में सांस्कृतिक प्रतीकों का उपयोग
जब नेपाल सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर प्रतिबंध लगाया, तो छात्रों ने इसका विरोध करने का फैसला किया। सुदान गुरुंग(Sudan Gurung) ने प्रदर्शनकारियों को स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर और किताबें लेकर इकट्ठा होने का आह्वान किया। इस अनोखे विरोध प्रदर्शन में एक और महत्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रतीक का इस्तेमाल किया गया – जापानी एनीमे ‘वन पीस’ का स्ट्रॉ हैड जॉली रोजर झंडा। यह झंडा युवाओं के लिए एक पहचान कोड बन गया, जिससे वे तुरंत एक-दूसरे को पहचान लेते थे। गुरुंग के सीधे और प्रेरक संदेश, जैसे “चुप मत रहो। घर पर मत रहो,” ने Gen-Z को एकजुट किया और उन्हें राजनीतिक रूप से जागरूक किया, जिससे यह आंदोलन देश की राजनीति में एक निर्णायक शक्ति बन गया।
सुदान गुरुंग कौन हैं और उनका Gen-Z आंदोलन से क्या संबंध है?
नेपाल के एक युवा नेता हैं सुदान गुरुंग(Sudan Gurung), जिन्होंने 2015 के भूकंप के बाद ‘हामी नेपाल’ नामक स्वयंसेवी संगठन की स्थापना की थी। यह संगठन बाद में नेपाल के Gen-Z आंदोलन का आधार बना, जिसने देश में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और अन्य सामाजिक मुद्दों के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया। गुरुंग इस आंदोलन का सबसे प्रमुख चेहरा बन गए।
‘हामी नेपाल’ की स्थापना किस घटना के बाद हुई और इसका क्या उद्देश्य था?
2015 के विनाशकारी भूकंप के बाद ‘हामी नेपाल’ की स्थापना हुई थी। सुदान गुरुंग(Sudan Gurung) ने एक बच्चे को अपनी बाहों में मरते हुए देखकर इस समूह की शुरुआत की। इसका शुरुआती उद्देश्य भूकंप पीड़ितों तक राहत सामग्री और मदद पहुँचाना था। बाद में, यह एक गैर-सरकारी संगठन के रूप में पंजीकृत हुआ और नेपाल में युवाओं के सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को उठाने लगा।
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