सरोगेसी घोटाले में गोपालपुरम पुलिस की कार्रवाई
हैदराबाद: गोपालपुरम पुलिस ने यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी सेंटर्स की मालिक डॉ. ए. नम्रता और उनके कई सहयोगियों के खिलाफ अवैध सरोगेसी (Surrogacy) और बाल तस्करी (Child Trafficking) के व्यापक रैकेट में कथित संलिप्तता के लिए आठ और आपराधिक मामले दर्ज किए हैं। संगठित आपराधिक नेटवर्क में उनकी कथित भूमिका के लिए नम्रता, उनके बेटे जयंत कृष्णा, एक वकील, डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, एजेंट और जन्म देने वाले माता-पिता सहित कुल 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
कानूनी सरोगेसी का किया जाता था वादा
उत्तरी क्षेत्र की डीसीपी एस रश्मि पेरुमल ने बताया कि नम्रता कथित तौर पर एक बड़ा घोटाला चलाती थी जिसमें कमज़ोर दंपतियों का भावनात्मक और आर्थिक शोषण किया जाता था। इस रैकेट में दंपतियों से 11 लाख से 22 लाख रुपये तक की वसूली की जाती थी, कानूनी सरोगेसी का वादा किया जाता था, और बाद में एजेंटों के एक नेटवर्क के ज़रिए अनजान माताओं से प्राप्त बच्चों को सौंप दिया जाता था। ग्राहकों को नकली डीएनए और मेडिकल रिपोर्ट दिखाकर बच्चों को अपना बताया जाता था।
15 आपराधिक मामलों में शामिल रही
नम्रता पहले हैदराबाद, विशाखापत्तनम, विजयवाड़ा और गुंटूर में धोखाधड़ी, सरोगेसी धोखाधड़ी और बाल तस्करी से जुड़े 15 आपराधिक मामलों में शामिल रही हैं, जिनमें से कुछ पर अभी भी मुकदमा चल रहा है। उन्होंने सिकंदराबाद, कोंडापुर, विशाखापत्तनम, विजयवाड़ा, नेल्लोर, राजमुंदरी, भुवनेश्वर और कोलकाता में क्लीनिक चलाए। डीसीपी ने बताया, ‘निःसंतान दम्पतियों से वादा किया गया था कि क्लिनिक कानूनी सरोगेसी का प्रबंध करेगा। हकीकत में, कमज़ोर माताओं से लड़की के लिए 3.5 लाख रुपये और लड़के के लिए 4.5 लाख रुपये में बच्चे खरीदे गए, जबकि ग्राहकों से 40 लाख रुपये तक वसूले गए। धोखाधड़ी को छिपाने के लिए फर्जी दस्तावेज और डीएनए रिपोर्ट तैयार की गईं।’
मानव तस्करी का नाम क्या है?
इसे कानूनी और सामाजिक रूप से “ह्यूमन ट्रैफिकिंग” कहा जाता है। इसमें व्यक्तियों को जबरदस्ती, धोखे या बलपूर्वक श्रम, यौन शोषण या अवैध कार्यों के लिए ले जाया जाता है। यह विश्वभर में एक गंभीर अपराध है और कई देशों में इसके खिलाफ कड़े कानून बनाए गए हैं।
पुरुषों की मानव तस्करी क्यों की जाती है?
अक्सर पुरुषों की तस्करी मजबूरन श्रम, खतरनाक निर्माण कार्य, खेती, खनन और अवैध गतिविधियों के लिए की जाती है। उन्हें बेहतर रोजगार का झांसा देकर दूसरे राज्यों या देशों में भेजा जाता है और फिर अमानवीय परिस्थितियों में काम करने पर मजबूर किया जाता है।
महिलाओं और बच्चों की तस्करी को रोकने के लिए कौन सी योजना शुरू की गई थी?
भारत सरकार ने “उज्ज्वला योजना” की शुरुआत महिलाओं और बच्चों की तस्करी रोकने के लिए की। इस योजना के तहत बचाव, पुनर्वास, पुनर्वासोपरांत देखभाल और पुनर्वासित व्यक्तियों को आजीविका के साधन उपलब्ध कराए जाते हैं, ताकि वे सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें।
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