बचत की आदतों को बढ़ावा देना पहल का उद्देश्य
करीमनगर। तेलंगाना (Telangana) में स्ट्रीट वेंडरों (Street vendors) को जल्द ही राष्ट्रीय शहरी रोजगार योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों की तरह सामान्य हित समूहों (सीआईजी) में संगठित किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य बचत की आदतों को बढ़ावा देना और बैंक ऋण तक पहुँच को आसान बनाना है। नगर निगम क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन मिशन (एमईपीएमए) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में ऐसे रेहड़ी-पटरी वालों की पहचान की गई है जो चाय की दुकानें, फलों की दुकानें, फूलों की दुकानें और पानी-पूरी की ठेले जैसे विभिन्न व्यवसायों में लगे हुए हैं।
समूह के सदस्यों के नाम पर खोले जाएंगे बैंक खाते
एमईपीएमए अधिकारियों के अनुसार, प्रत्येक सीआईजी में 10 से 12 सदस्य होंगे। नियमित बचत को प्रोत्साहित करने के लिए समूह के सदस्यों के नाम पर बैंक खाते खोले जाएँगे। छह महीने तक उनके वित्तीय लेन-देन पर नज़र रखने के बाद, बैंक लिंकेज ऋण देंगे। इससे विक्रेताओं की निजी साहूकारों पर निर्भरता कम होने और उनके कारोबार को बढ़ाने में मदद मिलने की उम्मीद है। कई विक्रेता दैनिक वित्तपोषकों पर निर्भर रहते हैं, जो उच्च ब्याज लेते हैं, आमतौर पर 3 से 5 प्रतिशत, जिससे विक्रेताओं को अपनी दैनिक कमाई का बड़ा हिस्सा देने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

10,000 रुपये, 20,000 रुपये और 50,000 रुपये के ऋण वितरित
इससे पहले, प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना के ज़रिए रेहड़ी-पटरी वालों को राहत मिली थी। तीन चरणों में 10,000 रुपये, 20,000 रुपये और 50,000 रुपये के ऋण वितरित किए गए थे। हालाँकि यह योजना समाप्त हो गई है, फिर भी कुछ विक्रेता किश्तें चुकाना जारी रखे हुए हैं। नई सीआईजी-आधारित सहायता प्रणाली से शहरी सड़क विक्रेताओं के लिए एक संरचित और टिकाऊ वित्तीय विकल्प उपलब्ध होने की उम्मीद है।
शहरी विकास योजना क्या है?
इस योजना का उद्देश्य शहरों में बुनियादी सुविधाओं का सुधार करना है। इसमें सड़कें, पानी, सीवरेज, स्वच्छता, हरित क्षेत्र, आवास और परिवहन शामिल हैं। भारत में ऐसी योजनाओं में स्मार्ट सिटी मिशन, AMRUT और स्वच्छ भारत मिशन प्रमुख हैं, जो शहरी जीवन गुणवत्ता बढ़ाने पर केंद्रित हैं।
शहरी नियोजन का क्या अर्थ है?
इसका का अर्थ है शहरों और कस्बों के विकास और प्रबंधन की प्रक्रिया। इसमें भूमि उपयोग, आवास, परिवहन, बुनियादी सुविधाएं, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक ढांचे की योजना बनाना शामिल है। इसका उद्देश्य टिकाऊ, सुव्यवस्थित और रहने योग्य शहरी क्षेत्र विकसित करना होता है।
भारतीय शहरों की योजना कौन बनाता है?
शहरी और क्षेत्रीय नियोजन विभाग, नगर निगम और Town and Country Planning Organization (TCPO) भारतीय शहरों की योजना बनाते हैं। राज्यों में शहरी विकास प्राधिकरण और नगरपालिका भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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