हैदराबाद : परिवहन मंत्री पोन्नम प्रभाकर (Minister Ponnam Prabhakar) ने कहा कि गरीबी हटाओ के नारे के साथ गरीबी उन्मूलन (Garibi Hatao) के लिए काम करने वाली इंदिराम्मा से प्रेरित होकर भूख मुक्त हैदराबाद के उद्देश्य से इंदिराम्मा कैंटीन की स्थापना की गई है। मंत्री ने सोमवार को जिला प्रभारी मंत्री पोन्नम प्रभाकर और हैदराबाद की मेयर गदवाल विजयलक्ष्मी इंदिरम्मा कैंटीन का उद्घाटन मोतीनगर और खैरताबाद मिंट कैंपस में किया गया।
तीन हजार रुपए होगा प्रति लाभार्थी को फायदा : मंत्री
मंत्री ने कहा कि इन कैंटीनों में लाभार्थियों को 5 रुपये में रियायती नाश्ता और 5 रुपये में दोपहर का भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। जीएचएमसी ने नाश्ते और दोपहर के भोजन पर क्रमशः 14 रुपये और 24.83 रुपये खर्च किए हैं। प्रत्येक लाभार्थी को औसतन लगभग 3,000 रुपये प्रति माह का वित्तीय लाभ मिलेगा। उन्होंने सफाई कर्मचारियों और लाभार्थियों के साथ दोपहर का भोजन किया। उन्होंने उनका हालचाल पूछा। मंत्री पोन्नम प्रभाकर ने कहा कि इंदिराम्मा ने गरीबी हटाओ के नारे के साथ गरीबी उन्मूलन का काम किया।
हैदराबाद में जल्द ही 150 इंदिराम्मा कैंटीन : महापौर
महापौर विजयलक्ष्मी ने कहा कि इंदिराम्मा कैंटीन गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए बेहद फायदेमंद हैं। उन्होंने कहा कि ग्रेटर हैदराबाद में जल्द ही 150 इंदिराम्मा कैंटीन खोली जाएँगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को कैंटीन आवंटित की जाएँगी। सांसद अनिल कुमार यादव ने कहा कि मिंट कैंपस में स्थापित इंदिराम्मा कैंटीन सभी के लिए सुलभ है। उन्होंने कहा कि यह गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए फायदेमंद है। विधायक दानम नागेंद्र ने कहा कि इंदिराम्मा कैंटीन के प्रबंधन की ज़िम्मेदारी स्वयं सहायता समूहों को सौंपने की माँग की।
भारत में प्रतिदिन कितने लोग भूख से मरते हैं?
आधिकारिक और अद्यतन आंकड़े: सरकार सीधे “भूख से मृत्यु” के आंकड़े जारी नहीं करती, और कई बार मौतें कुपोषण, बीमारियों या गरीबी के कारण दर्ज की जाती हैं, जिससे वास्तविक संख्या का अनुमान लगाना कठिन होता है।
भारत में भुखमरी की समस्या का क्या कारण है?
भारत में भुखमरी के कई कारण है।
भारत में भूख कैसे कम करें?
नीतिगत समाधान (Government level):
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को मजबूत करना – ताकि राशन सही लोगों तक पहुँचे।
- मिड-डे मील और पोषण योजनाओं में सुधार – बच्चों को स्कूलों में पौष्टिक भोजन मिले।
- भ्रष्टाचार पर नियंत्रण – खाद्यान्न वितरण में पारदर्शिता।
- आर्थिक विकास और रोज़गार के अवसर – ताकि लोग खुद भोजन खरीद सकें।
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