पीड़ितों ने दर्ज कराई शिकायत
हैदराबाद। यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी सेंटर से जुड़े कथित सरोगेसी (Surrogacy) और आईवीएफ घोटाले की जांच तेज कर चुकी गोपालपुरम पुलिस को पता चला है कि इस घोटाले के कई पीड़ित हैं, जिनमें एनआरआई जोड़े भी शामिल हैं। पुलिस ने पीड़ितों की ताजा शिकायतों के बाद चार और एफआईआर (FIR) दर्ज की हैं, जिन्होंने केंद्र के प्रबंधन पर धोखाधड़ी, चिकित्सा कदाचार और वित्तीय जबरन वसूली का आरोप लगाया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, मुख्य संदिग्ध, केंद्र की प्रजनन प्रबंधक डॉ. नम्रता ने सहयोगियों डॉ. सदानन्दम, चेन्ना राव, अर्चना और सुरेखा के साथ मिलकर नलगोंडा जिले के एक दम्पति से सरोगेसी प्रक्रिया में मदद करने के नाम पर 44 लाख रुपये की धोखाधड़ी की। एक अन्य शिकायत में, हैदराबाद की एक महिला ने आरोप लगाया कि नम्रता ने सरोगेसी के नाम पर हार्मोन इंजेक्शन दिए और स्टाफ सदस्यों डॉ. विद्युलता, कल्याणी, शेषगिरी और श्रीनिवास रेड्डी के माध्यम से भारी धनराशि ऐंठी।
जांच अधिकारियों को सौंपा लेन देन का विवरण
अतिरिक्त शिकायतों से यह भी पता चलता है कि संदिग्धों की पहुँच घरेलू सीमाओं से परे भी है, जहाँ कथित तौर पर एनआरआई पीड़ितों से 25 लाख रुपये की ठगी की गई है। घोटाले के पीड़ितों ने अपनी मेडिकल रिपोर्ट और लेन-देन का विवरण सबूत के तौर पर जाँच अधिकारियों को सौंप दिया है, जिससे कानूनी कार्रवाई का मामला मज़बूत हो गया है। पुलिस अधिकारियों को संदेह है कि एक बड़ा संगठित गिरोह सहायक प्रजनन उपचारों की आड़ में कमज़ोर दंपतियों का शोषण कर रहा है। जाँच जारी है, और जैसे-जैसे पुलिस प्रजनन केंद्र घोटाले के पीछे के नेटवर्क का पर्दाफ़ाश करेगी, और भी गिरफ्तारियाँ होने की संभावना है।

सरोगेसी का क्या अर्थ है?
यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक महिला किसी अन्य दंपत्ति के लिए गर्भधारण करती है और बच्चे को जन्म देने के बाद उन्हें सौंप देती है। इस व्यवस्था में महिला को सरोगेट मदर कहा जाता है, और इसका प्रयोग संतानहीन दंपत्तियों की मदद के लिए किया जाता है।
सरोगेसी क्या है?
मेडिकल विज्ञान के अनुसार सरोगेसी एक प्रजनन तकनीक है जिसमें भ्रूण को दंपत्ति के अंडाणु व शुक्राणु से बनाकर किसी अन्य महिला के गर्भ में विकसित किया जाता है। यह प्रक्रिया चिकित्सकीय निगरानी में होती है और भारत में इसके लिए कानून भी लागू हैं।
सरोगेसी से आप क्या समझते हैं?
इस शब्द से तात्पर्य है कि कोई महिला मानवता या समझौते के आधार पर दूसरे के लिए गर्भधारण करती है। इसका उद्देश्य उन लोगों की मदद करना है जो जैविक रूप से बच्चे को जन्म नहीं दे सकते। इसे नैतिक, सामाजिक और कानूनी दृष्टि से नियंत्रित किया जाता है।
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