ट्रम्प-युग की आव्रजन नीतियों के तहत चुनौतियों पर करें विचार : केटीआर
हैदराबाद। बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव (केटीआर) ने भारतीय-अमेरिकी आईटी हितधारकों से ट्रम्प-युग की आव्रजन नीतियों के तहत चुनौतियों पर विचार करने का आह्वान किया। उन्होंने उनसे दीर्घकालिक लक्ष्य के साथ टियर-2 शहरों में रोजगार के अवसर पैदा करने की संभावना तलाशने का आग्रह किया। डलास में आईटीसर्व एलायंस के साथ बातचीत में बोलते हुए, रामा राव ने अमेरिकी आव्रजन नीतियों में प्रस्तावित बदलावों और आईटी क्षेत्र पर उनके प्रभाव पर चिंताओं को स्वीकार किया।
उन्होंने कहा, ‘इस तरह के व्यवधान अक्सर घबराहट पैदा करते हैं, लेकिन वे नई संभावनाओं को भी खोलते हैं,’ उन्होंने बताया कि अमेरिका में पिछले नीतिगत बदलावों ने ऐतिहासिक रूप से एनआरआई और उद्योग के बीच नवाचार और अनुकूलन को बढ़ावा दिया है।
जो मायने रखता है वह है कनेक्टिविटी और प्रतिभा : केटीआर
हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे भारतीय आईटी हब में बढ़ती श्रम लागत की ओर इशारा करते हुए, पूर्व आईटी मंत्री ने टियर-2 शहरों की ओर रणनीतिक बदलाव का सुझाव दिया। उन्होंने याद दिलाया कि कोविड के बाद भूगोल अप्रासंगिक हो गया है। उन्होंने कहा, ‘जो मायने रखता है वह है कनेक्टिविटी और प्रतिभा। पिछली बीआरएस सरकार ने तेलंगाना के 10 टियर-2 शहरों में प्लग-एंड-प्ले आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित किया। एनटीटी डेटा जैसी कंपनियां, जो आदिलाबाद में सिर्फ 50 कर्मचारियों के साथ शुरू हुई थीं, अब 500 लोगों को रोजगार देती हैं।’
कौशल विकास और एआई की तैयारी के लिए सहयोग करने का किया आह्वान
सिएटल स्थित क्वाड्रेंट टेक्नोलॉजीज के साथ वारंगल में इसी तरह की सफलताओं का हवाला देते हुए, उन्होंने कंपनियों से उन अप्रयुक्त क्षेत्रों का पता लगाने का आग्रह किया, जहाँ तकनीकी दिग्गजों से प्रतिस्पर्धा न्यूनतम है। उन्होंने कहा, ‘अगर बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वहाँ नहीं जा रही हैं, तो यह आपके लिए अवसर है।’ रामा राव ने आईटीसर्व एलायंस से भारतीय सरकारों के साथ मिलकर भविष्योन्मुखी नीतियां बनाने, खास तौर पर कौशल विकास और एआई की तैयारी के लिए सहयोग करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, ‘आइए हम सब मिलकर अपने युवाओं को लगातार कौशल विकास और पुनर्कौशल प्रदान करने के लिए एक विजन दस्तावेज बनाएं, ताकि वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बने रहें।’ उन्होंने भारत के आईटी प्रतिभा पूल को भविष्य के लिए तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यद्यपि अल्पकालिक व्यवधानों से व्यापार को नुकसान हो सकता है, लेकिन दीर्घकालिक लाभ भारत में मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में निहित है।