7.7 लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद
तिरुमला। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (Tirumala Tirupati Devasthanam) ने पारदर्शिता और समान अवसर को प्राथमिकता देते हुए वैकुंठ एकादशी द्वार दर्शन के लिए टोकन ई-डिप सिस्टम के माध्यम से आवंटित किए हैं। यह जानकारी टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी (ईओ ) अनिल कुमार सिंघल ने डायल योर ईओ (Dial Your EO) कार्यक्रम में भक्तों से बात करते हुए दी। ईओ ने देशभर से 23 श्रद्धालुओं से फोन पर बातचीत की। कई कॉलरों ने टोकन न मिलने के बावजूद ई-डिप सिस्टम की सराहना की।
ईओ ने दी आगामी व्यवस्थाओं और हाल की उपलब्धियों के बारे में जानकारी
सिंघल ने कहा कि बोर्ड ने इस वर्ष ई-डिप सिस्टम को इसलिए चुना ताकि पूर्व वर्षों की असुविधाओं को दूर किया जा सके और सभी को समान अवसर मिल सके। यह मासिक डायल योर ईओ कार्यक्रम शुक्रवार को अन्नमय्या भवन में आयोजित हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत में ईओ ने आगामी व्यवस्थाओं और हाल की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। ईओ ने बताया कि 30 दिसंबर से 8 जनवरी तक चलने वाले 10-दिवसीय वैकुंठ द्वार दर्शनम् के लिए विस्तृत तैयारियाँ की गई हैं। इस दौरान 7.70 लाख श्रद्धालुओं के दर्शन करने की उम्मीद है।
दर्शन समय में से 164 घंटे से अधिक सामान्य भक्तों के लिए निर्धारित
कुल 182 घंटे के दर्शन समय में से 164 घंटे से अधिक सामान्य भक्तों के लिए निर्धारित किए गए हैं। ईओ ने बताया कि 30 दिसंबर, 31 दिसंबर और 1 जनवरी के लिए सर्व दर्शन टोकन इलेक्ट्रॉनिक डिप के माध्यम से जारी किए गए, ताकि सभी को समान अवसर मिल सके। 25 लाख भक्तों ने 27 नवंबर से 1 दिसंबर के बीच ई-डिप में पंजीकरण कराया। 1.70 लाख भक्तों को 2 दिसंबर को ई-डिप के जरिए सर्व दर्शन टोकन आवंटित किए गए।
वैष्णव एकादशी क्या होती है?
इस एकादशी को वैष्णव परंपरा के अनुयायी विशेष नियमों और विधियों के साथ मनाते हैं। भगवान विष्णु की पूजा, मंत्रजप, भजन-कीर्तन और सात्त्विक आहार इसके प्रमुख हिस्से हैं। वैष्णव पंचांग के अनुसार हरिवासर समय को देखकर व्रत का पारण किया जाता है, जिससे यह सामान्य एकादशी से अलग मानी जाती है।
स्मार्ट एकादशी और वैष्णव एकादशी में क्या अंतर है?
मुख्य अंतर इनके व्रत-नियमों और तिथि-गणना में देखा जाता है। स्मार्ट (स्मार्त) एकादशी सामान्य सनातन परंपरा के अनुसार गृहस्थों द्वारा मनाई जाती है, जबकि वैष्णव एकादशी वैष्णव पद्धति के नियमों और हरिवासर समय को ध्यान में रखते हुए मनाई जाती है। वैष्णव परंपरा में व्रत पालन अधिक कठोर माना जाता है।
स्मार्त एकादशी और वैष्णव एकादशी में क्या अंतर है?
दोनों एकादशियों का अंतर तिथि निर्धारण और पालन की पद्धति पर आधारित है। स्मार्त एकादशी सूर्य उदय–सूर्यास्त जैसे सामान्य नियमों से तय होती है और सभी साधारण भक्तों के लिए होती है। इसके विपरीत, वैष्णव एकादशी पूरी तरह वैष्णव परंपरा के अनुसार हरिवासर को प्राथमिकता देकर मनाई जाती है।
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