తెలుగు | Epaper

Amarnath Yatra : भूस्खलन में फंसे 3 हजार श्रद्धालुओं को सेना ने बचाया

Surekha Bhosle
Surekha Bhosle
Amarnath Yatra : भूस्खलन में फंसे 3 हजार श्रद्धालुओं को सेना ने बचाया

अमरनाथ यात्रा के दौरान भारी बारिश (Rain) और भूस्खलन (Landslide) के कारण हजारों श्रद्धालु फंस गए थे। स्थिति को गंभीर देखते हुए भारतीय सेना और अन्य बचाव एजेंसियों को राहत कार्यों में लगाया गया

बारिश और भूस्खलन ने रोकी यात्रा

जम्मू-कश्मीर के ऊपरी इलाकों में हुई लगातार बारिश Rain के कारण भूस्खलन हुआ।

रास्ते बंद हो गए जिससे करीब 3,000 श्रद्धालु अलग-अलग स्थानों पर फंस गए।

नई दिल्ली । जम्मू-कश्मीर के ऊपरी क्षेत्रों में लगातार खराब मौसम के बीच अमरनाथ यात्रा प्रभावित हुई है। यहां बारिश Rain और भूस्खलन के कारण सैकड़ों यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
ऐसे में भारतीय सेना ने एक बार फिर अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता का परिचय देते हुए सैकड़ों श्रद्धालुओं को अपने कैंपों में शरण दी है। अमरनाथ यात्रा फिलहाल रोक दी गई है। खराब मौसम की वजह से यह फैसला लिया गया है। पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण अमरनाथ यात्रा के मार्ग में बाधा उत्पन्न हुई है।

भारी बारिश के कारण

भारी बारिश Rain के कारण सड़क पर काफी मलबा बहकर आ गया है। यात्रा से लौट रहे कई श्रद्धालुओं को रास्ते में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। भारतीय सेना के मुताबिक 16 जुलाई की शाम लगभग सवा सात बजे लगातार बारिश के कारण भूस्खलन हुआ, जिससे यात्रा बाधित हो गई और बड़ी संख्या में यात्री फंसे रह गए।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यहां तैनात सेना की टुकड़ी ने तत्काल राहत कार्य शुरू किया। क्षेत्र में फंसे लगभग 500 यात्रियों को टेंट में ठहराया गया और उन्हें चाय व पीने का पानी उपलब्ध कराया गया।
इसके अतिरिक्त, करीब 3000 यात्रियों ने सेना के लंगरों में शरण ली, जहां उन्हें आवश्यक आश्रय और भोजन प्राप्त हुआ।

भूस्खलन संभावित क्षेत्रों के बीच

एक विशेष रूप से गंभीर मामला एक बीमार यात्री का था, जो दो भूस्खलन संभावित क्षेत्रों के बीच रायलपथरी में फंसा हुआ था। भारतीय सेना की क्विक रिएक्शन टीमों ने बेहद चुनौतीपूर्ण मौसम में मैनुअल स्ट्रेचर के माध्यम से सुरक्षित रूप से उस यात्री को बचाया और आगे एम्बुलेंस द्वारा उसे चिकित्सा सहायता के लिए भेजा गया। कैंप निदेशक और भारतीय सेना के कंपनी कमांडर मौके पर मौजूद हैं और उन्होंने स्थिति को स्थिर और नियंत्रण में बताया है।

सभी यात्रियों की सुरक्षा

सभी यात्रियों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के प्रयास लगातार जारी हैं। वहीं, रायलपथरी और अन्य क्षेत्रों में हल्की बारिश अभी भी जारी है और सेना पूर्ण सतर्कता के साथ किसी भी संभावित स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने यहां सेना के कैंपों में शरण ली है।

सेना के कैंपों में शरण लेने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्हें सही समय पर सेना द्वारा इन कैंपों में शरण दी गई, जिसके कारण वे तेज बारिश और भूस्खलन से बच सके। श्रद्धालुओं ने बताया कि यहां सेना के कैंपों में उन्हें पीने का पानी, चाय व भोजन भी उपलब्ध कराया गया है।
श्रद्धालुओं का कहना है कि सेना के कैंपों में करीब 3 हजार के आस-पास व्यक्तियों को शरण दी गई है। अमरनाथ यात्रा 2025 के दौरान किए गए ये त्वरित और मानवीय प्रयास भारतीय सेना की पेशेवरिता, समर्पण और सेवा भाव के एक और शानदार उदाहरण हैं, जो हर संकट में यात्रियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।

अमरनाथ की हकीकत क्या है?

तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्यों कि यहीं पर भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं।

अमरनाथ यात्रा का इतिहास क्या है?

(Amarnath Temple in Hindi) की तीर्थयात्रा 19वीं शताब्दी में शुरू हुई जब एक कश्मीरी पंडित महादेव कौल ने गुफा की फिर से खोज की। उन्होंने अपने अनुभव के बारे में राजतरंगिणी नामक पुस्तक में लिखा है। पुस्तक लोकप्रिय हो गई और लोग भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए गुफा में जाने लगे।

अन्य पढ़ें: Amarnath Yatra : चंदरकोट में काफिले की बसें टकराईं, 36 घायल

📢 For Advertisement Booking: 98481 12870