क्रिकेट और मंचूरियन का अटूट रिश्ता – जानिए पूरा सच!
हालाँकि इसका नाम “चाइनीज मंचूरियन” (Chinese Manchurian) है, लेकिन यह डिश असली चीन (China) से नहीं, बल्कि भारत के मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों की रसोई में पैदा हुई है। इंडो-चाइनीज फ्यूजन का यह उदाहरण भारत की खाद्य संस्कृति में गहराई से रच-बस गया है।
अगर आप किसी से पूछें कि चाइनीज मंचूरियन का जन्म कहां हुआ तो वो बिना सोचे समझे जवाब देगा – चीन और कहां. हो सकता है कि वो उल्टा सवाल जड़ दे कि ये भी कोई पूछने वाला सवाल है, जिसका जवाब तो खुद इस व्यंजन के नाम में ही साफ साफ दिया हुआ है. लेकिन जनाब यहीं तो गूगली है. क्योंकि चाइनीज मंचुरियन का जन्म चीन में तो नहीं हुआ और ये देश ऐसा है, जिसके बारे में तो कई सपने में भी नहीं सोच सकता.
Chinese Manchurian: चाइनीज मंचूरियन का जन्म ऐसी जगह हुआ, जिसका क्रिकेट से बहुत खास रिश्ता है. चलिए एक जवाब तो हम दे देते हैं कि चाइनीज मंचुरियन का चीन से कोई रिश्ता है ही नहीं. इसका असल में जन्म भारत में हुआ था. और इसे हुए 50 साल हो चुके हैं. अब इसका क्या रिश्ता क्रिकेट से है. इसका पता तो आपको आगे लगना ही है.
ये 1975 का साल था. कोलकाता में पैदा हुए एक शेफ मुंबई में काम करने आया. शेफ का नाम था नेल्सन वांग, वह कोलकाता के चाइनीज टाउन में रहने वाली तीसरी पीढ़ी से ताल्लुक रखते हैं. मुंबई में वह क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया में शेफ के बतौर पर काम कर रहे थे.
उस दिन शाम को जब क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया में भीड़ भरनी शुरू हुई तो एक कस्टमर ने उनसे डिमांड की कि वह कुछ ऐसा नया बनाएं, जो वाकई अलग और अनोखा हो और अब तक बना भी नहीं हो.
और फिर बनी एक अनोखी चाइनीज – इंडियन डिश
जब वांग को एक अनोखा व्यंजन बनाने का काम सौंपा गया, तो उन्होंने जानी-पहचानी भारतीय सामग्रियों से शुरुआत की – कटा हुआ लहसुन, अदरक और हरी मिर्च. पारंपरिक भारतीय मसालों के बजाय, उन्होंने सोया सॉस और कॉर्नस्टार्च डाला, फिर बोनलेस चिकन के नगेट्स डाले. नतीजा एक ऐसा व्यंजन बना जिसमें भारतीय स्नैक्स में पसंद किए जाने वाले डीप-फ्राइड स्वाद के साथ चीनी व्यंजनों के उमामी स्वाद का मेल था.
ये एक नए व्यंजन का जन्म था, जिसका स्वाद इंडियन – चाइनीज था. इसे नाम दिया गया चाइनीज चिकन मंचूरियन. वास्तव में वांग ने भारतीय पाक कला तकनीकों को चीनी स्वादों के साथ मिलाया, जिससे प्रसिद्ध चिकन मंचूरियन तैयार हुआ.
इसका मंचूरिया Chinese Manchurian से क्या रिश्ता
वैसे वास्तव में ये चाइनीज चिकन मंचूरियन था, जो अब भारतीय-चीनी व्यंजनों का एक प्रमुख व्यंजन है, जो मसालेदार और तीखी चटनी में लिपटे अपने कुरकुरे चिकन के टुकड़ों के लिए प्रसिद्ध है. देखते ही देखते ये डिश सुपर हिट हो गई. अपने नाम के बावजूद, चिकन मंचूरियन का पूर्वोत्तर चीन के मंचूरिया क्षेत्र से कोई खास लेना-देना नहीं है. “मंचूरियन” शब्द का इस्तेमाल शायद इस व्यंजन को एक विदेशी आकर्षण देने के लिए किया गया था.
इस व्यंजन के सिरे भारत में चाइनीज प्रवासियों से जुड़े हैं
“इनसाइक्लोपीडिया ऑफ डायस्पोरास” पुस्तक में “भारत में चीनी” शीर्षक अध्याय की लेखिका एलेन ऑक्सफेल्ड लिखती हैं, “भारत में चीनी बसावट 18वीं शताब्दी से शुरू होती है, जब एक चीनी नाविक, जिसे अंग्रेज़ी में अत्चेव या अच्ची और चीनी में यांग दाझाओ कहा जाता है, वह 1770 के दशक में चीन के ग्वांगडोंग प्रांत से जहाज़ द्वारा कलकत्ता पहुंचा.” अच्ची का कलकत्ता के पास एक गन्ने का बागान था. वह अपने और देशवासियों को वहां काम करने के लिए ले आया. यह इलाका आज भी अच्चीपुर के नाम से जाना जाता है.
ऑक्सफेल्ड के अनुसार, 1781 तक अच्ची के कई चीनी मजदूरों ने कलकत्ता में अपना जीवन गुजारने का फैसला कर लिया, वो हमेशा हमेशा के लिए वहां बस गए. तब से यह शहर चीनी भारतीय समुदाय का केंद्र रहा. बेशक भारत में ये समुदाय छोटा है, अब उनकी संख्या 4000 है लेकिन एक जमाना था जबकि अकेले कोलकाता में ही 20,000 से ज़्यादा चीनी थे, मुख्यतः तंगरा उपनगर में. यहां उन्होंने टैनिंग, दंत चिकित्सालय और रेस्टोरेंट खोले थे.
1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान, जब चीन विरोधी भावनाएं भड़कीं तो उनकी जनसंख्या में नाटकीय रूप से गिरावट आई. कई लोग अपनी इच्छा से देश छोड़कर चले गए, कुछ को चीन निर्वासित कर दिया गया या राजस्थान के जेल शिविरों में भेज दिया गया.
मंचूरियन रेसिपी का आविष्कार किसने किया था?
ऐसा कहा जाता है कि इसका आविष्कार 1975 में मुंबई के क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया के रसोइये नेल्सन वांग ने किया था, जब एक ग्राहक ने उनसे मेनू में दिए गए व्यंजन के बजाय एक नया व्यंजन बनाने को कहा था।
मंचूरियन के लिए कौन सा देश प्रसिद्ध है?
आधुनिक साहित्य में, “मंचूरिया” का तात्पर्य आमतौर पर चीन के मंचूरिया से होता है।