पुरी,। विश्व प्रसिद्ध सैंड आर्टिस्ट और पद्मश्री सम्मानित सुदर्शन पटनायक (Surdarshan Patnaik) ने रक्षाबंधन पर एक बार फिर अपनी कला का जादू बिखेरा है। उन्होंने पुरी के समुद्र तट पर भगवान जगन्नाथ की रेत से एक आकर्षक मूर्ति बनाई, जो भक्ति, सांस्कृतिक गौरव और देशभक्ति का अनूठा संगम प्रस्तुत करती है। यह 6 फीट ऊंची रेत मूर्ति न केवल कला का उत्कृष्ट नमूना है, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी दे रही है।
मूर्ति को राखी के रूपांकन में डिजाइन किया है
इस खास कलाकृति में सुदर्शन ने भगवान जगन्नाथ (Bhagwan Jagganath) को पद्मवेश यानी कमल की पोशाक में खूबसूरती से चित्रित किया है। मूर्ति को राखी के रूपांकन में डिजाइन किया है, जो रक्षाबंधन के प्रेम और सुरक्षा के बंधन को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाता है। इस रेत मूर्ति के साथ जय जगन्नाथ और रक्षाबंधन की शुभकामनाएं जैसे भावपूर्ण संदेश लिखे गए हैं, जो दर्शकों के मन को छूते हैं। इसके साथ ही नागरिकों से स्थानीय उत्पादों का समर्थन करने की अपील करता है। इस पहल के बारे में सुदर्शन ने कहा कि रक्षाबंधन के अवसर पर हमने महाप्रभु जगन्नाथ की एक अद्भुत रेत मूर्ति बनाई है।
पीएम मोदी के वोकल फॉर लोकल के अपील को बढ़ावा देता है
यह रेत मूर्ति मेरे लिए केवल एक कला नहीं, बल्कि भक्ति और देशभक्ति का एक जरिया है। यह पीएम मोदी (PM modi) के वोकल फॉर लोकल के अपील को बढ़ावा देता है। यह हमें अपने देश में बनी वस्तुओं के इस्तेमाल और प्रचार के लिए प्रोत्साहित करता है। रक्षाबंधन जैसे पवित्र त्योहार पर यह मूर्ति भाई-बहन के प्रेम के साथ-साथ स्वदेशी के प्रति जागरूकता का संदेश देता है। यह रेत मूर्ति पुरी समुद्र तट पर आने वाले पर्यटकों और स्थानीय लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बन गया है।
सुदर्शन पटनायक को पद्म श्री से कब सम्मानित किया गया था?
रेत कला में उनके योगदान के लिए उन्हें 2014 में भारत सरकार द्वारा भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
क्या सुदर्शन पटनायक को पद्म श्री मिला?
सुदर्शन पटनायक (जन्म 15 अप्रैल 1977) पुरी, ओडिशा के एक भारतीय रेत कलाकार हैं। 2014 में, भारत सरकार ने उन्हें समुद्र तट पर उनकी रेत कला के लिए भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया।
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