बोस इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं के अध्ययन में सामने आया है कि घनी आबादी वाले क्षेत्रों में संक्रमण फैलाने वाले एयरबोर्न बैक्टीरिया (Airborn Bactteria) की संख्या कम आबादी वाले इलाकों की तुलना में लगभग दोगुनी होती है। दिल्ली जैसे महानगरों में वायु प्रदूषण और आबादी मिलकर स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रहे हैं।
वायुजनित रोगजनकों का विश्लेषण
अध्ययन में वायुजनित रोगजनकों के स्वास्थ्य (Health) पर प्रभाव का गहन विश्लेषण किया गया। निष्कर्षों से पता चला कि हवा में मौजूद सूक्ष्मजीव मुख्य रूप से श्वसन, आंतों, मुंह और त्वचा से जुड़े संक्रमणों के लिए जिम्मेदार होते हैं।
पीएम 2.5 से बढ़ रहा खतरा
दिल्ली जैसे शहरों में पीएम 2.5 यानी सूक्ष्म धूलकणों की अधिकता इन बैक्टीरिया को और खतरनाक बना देती है। ये कण फेफड़ों तक पहुंचकर बैक्टीरिया को शरीर में फैलने में मदद करते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
सर्दियों में संक्रमण का खतरा दोगुना
शोधकर्ताओं का कहना है कि सर्दियों के मौसम में पश्चिमी विक्षोभ के कारण तापमान में गिरावट और स्थिर हवा की स्थिति सूक्ष्मजीवों को लंबे समय तक हवा में टिके रहने का अवसर देती है। प्रदूषण और मौसम का यह मेल संक्रमण के प्रसार को और बढ़ा देता है।
शहरी स्वास्थ्य नियोजन के लिए चेतावनी
विशेषज्ञों का मानना है कि यह अध्ययन शहरी स्वास्थ्य नियोजन के लिए महत्वपूर्ण चेतावनी है। प्रदूषण, मौसम, पर्यावरणीय कारक और जनसंख्या घनत्व को समझकर बीमारियों के प्रसार का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। साथ ही, शहरी डिजाइन और स्वास्थ्य रणनीतियों में सुधार कर संक्रमण से बचाव संभव है।
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