नई दिल्ली। अयोध्या राम मंदिर मामले में हालिया बयान पर पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachood) ने सफाई दी है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि बाबरी मस्जिद का निर्माण बुनियादी तौर पर अपवित्र कार्य था, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया था।
बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप
अब अपनी सफाई में पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। बता दें एक इंटरव्यू में पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से सवाल किया गया कि क्या अपवित्र करने को लेकर हिंदू पक्ष जिम्मेदार था।
सोशल मीडिया पर बवाल
चंद्रचूड़ के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर बवाल मच गया था। अब उन्होंने अपने इस बयान को स्पष्ट किया है। एक कार्यक्रम में बोलते हुए जस्टिस ने कहा कि लोग जवाब के एक हिस्से को उठाकर दूसरे हिस्से के साथ जोड़ देते हैं, जिससे संदर्भ पूरी तरह से हट जाता है।
फैसले का आधार और पुरातात्विक साक्ष्य
उन्होंने साफ कहा कि अयोध्या मामले (Ayodhya Case) का फैसला आस्था के आधार पर नहीं, बल्कि साक्ष्य और कानूनी सिद्धांतों के आधार पर हुआ था। फैसले में कोर्ट को पुरातात्विक साक्ष्य मिले कि मस्जिद के नीचे एक मंदिर था, जिसे मस्जिद बनाने के लिए तोड़ दिया गया था।
फैसला और न्यायिक प्रक्रिया
चंद्रचूड़ तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ के सदस्य थे, जिसने नवंबर 2019 में अयोध्या में विवादित स्थल पर मंदिर बनाने के पक्ष में फैसला सुनाया था। साथ ही मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया गया था।
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