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Breaking News: Oil: भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर नई रणनीति

Dhanarekha
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Breaking News: Oil: भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर नई रणनीति

अमेरिका से शर्त रखकर भारत ने जताया रुख

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका(USA) के बीच तेल(Oil) व्यापार को लेकर तनातनी बढ़ गई है। रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया हुआ है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार भारत अब रूसी तेल का आयात घटाने को तैयार है, लेकिन इसके लिए उसने साफ कर दिया है कि उसे ईरान और वेनेजुएला(Venezuela) से तेल(Oil) खरीदने की इजाजत दी जानी चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से वैश्विक ऊर्जा बाजार पर असर पड़ सकता है

भारत की शर्त और वैश्विक चिंताएँ

नई दिल्ली में सूत्रों ने बताया कि इस हफ्ते अमेरिका दौरे पर गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने यह मुद्दा स्पष्ट रूप से रखा। उनका कहना है कि अगर भारत रूस के साथ-साथ ईरान और वेनेजुएला से भी खरीद बंद कर दे, तो वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं। इस पर अमेरिकी दूतावास और भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने अभी कोई टिप्पणी नहीं की है।

अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने पर भारत को दंडात्मक टैरिफ की चेतावनी दी थी। इसके बावजूद भारत ने तेल आयात जारी रखा, हालांकि मात्रा में अब कमी आई है। फिलहाल रूस भारत का सबसे बड़ा सप्लायर बना हुआ है। वहीं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने न्यूयॉर्क में कहा कि ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में अमेरिका की बड़ी भूमिका हो सकती है।

सस्ते रूसी तेल का लाभ और विकल्प

यूक्रेन युद्ध के बाद कई देशों ने रूस से दूरी बना ली, जिसके कारण रूस ने अपने तेल पर भारी छूट दी। भारत, जो अपनी जरूरत का लगभग 90% तेल आयात करता है, को इससे बड़ा फायदा मिला। इसी तर्ज पर ईरान और वेनेजुएला का तेल भी भारत के लिए किफायती साबित हो सकता है। वर्ष 2019 में भारत ने ईरान से तेल खरीद बंद की थी और इसी साल रिलायंस इंडस्ट्रीज ने वेनेजुएला से आयात रोक दिया था।

मिडिल ईस्ट से आयात बढ़ाना भारत के लिए एक विकल्प हो सकता है, लेकिन वहां से खरीदा गया तेल महंगा पड़ेगा। जुलाई के आंकड़ों के अनुसार भारत ने रूसी तेल औसतन 68.90 डॉलर प्रति बैरल पर खरीदा, जबकि सऊदी तेल 77.50 डॉलर और अमेरिकी तेल 74.20 डॉलर प्रति बैरल रहा। भारत रूसी तेल का सबसे बड़ा समुद्री खरीदार है, जबकि समग्र रूप से चीन पहले स्थान पर है।

भारत ने अमेरिका के सामने शर्त क्यों रखी?

भारत चाहता है कि अगर वह रूस से आयात घटाता है तो उसे ईरान और वेनेजुएला जैसे विकल्प मिलें। ऐसा न होने पर तेल की कीमतें भारत पर भारी पड़ेंगी और वैश्विक बाजार भी प्रभावित होगा।

क्या भारत अमेरिकी तेल खरीदने को तैयार है?

हाँ, भारत ने संकेत दिए हैं कि वह अमेरिका से तेल और गैस की खरीद बढ़ाना चाहता है। वाणिज्य मंत्री ने स्पष्ट किया है कि ऊर्जा सुरक्षा में अमेरिका की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

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