पटना । बिहार में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट तेज है और इस बार महिला मतदाता (Women Voters) निर्णायक भूमिका में नजर आ सकते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने बीते कुछ महीनों में जिस तरह से महिला योजनाओं पर जोर दिया है, उससे राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि महिला वोटर अगर एकजुट हुईं, तब एनडीए को इस चुनाव में बड़ा फायदा मिल सकता है।
महिला योजनाओं पर नीतीश का फोकस
बिहार सरकार की मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना (Chief Minister Mahila Rojgar Yojana) के तहत अब तक 1.21 करोड़ जीविका दीदियों के खाते में 10-10 हजार रुपये की राशि भेजी गई है। नीतीश सरकार का दावा है कि यह राशि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार बढ़ाने के उद्देश्य से उनके खाते में भेजी गई है।
तेजस्वी यादव का पलटवार और वादे
इस मुद्दे पर तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर पलटवार किया है। वे लगातार आरोप लगा रहे हैं कि एनडीए सरकार ने उनकी योजनाओं की नकल की है और चुनाव से पहले महिलाओं को “रिश्वत” के तौर पर पैसा दे रही है। तेजस्वी ने घोषणा की है कि अगर उनकी सरकार बनती है, तब जीविका दीदियों को स्थायी नौकरी दी जाएगी और 30 हजार रुपये मासिक वेतन मिलेगा। साथ ही, “माई बहन मान योजना” के तहत हर महिला को हर महीने 2,500 रुपये देने का भी वादा तेजस्वी की ओर से किया गया है।
महिला प्रत्याशियों को टिकट देकर साधने की कोशिश
महिला वोटरों को साधने की राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में अब एनडीए और महागठबंधन दोनों ने अपने-अपने पत्ते खोल दिए हैं। तेजस्वी के आरजेडी ने अपने कोटे की 143 सीटों में 24 महिलाओं को टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस ने 61 में से 5 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है।
महिला वोटर बने चुनावी गणित का केंद्र
वहीं एनडीए ने कुल 35 सीटों पर महिला उम्मीदवारों को मौका दिया है। जेडीयू और बीजेपी ने 13-13 महिलाओं को टिकट दिया है, जबकि सहयोगी दलों चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टियों ने 6 महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि बिहार में महिला वोटरों की संख्या अब पुरुषों से अधिक हो चुकी है और यही कारण है कि सभी दल महिलाओं को लुभाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
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