UP News: कभी सड़कों पर ज़ोरदार प्रदर्शन करने वाली समाजवादी पार्टी अब सोशल मीडिया पर ज़्यादा सक्रिय है। लेकिन दिल्ली (Delhi) में विपक्षी नेताओं के मार्च में अखिलेश यादव (Akhilesh yadav) ने बैरिकेड फांद कर बड़ी लकीर खींच दी। उनके इस कदम की पार्टी कार्यकर्ताओं और नेता शिवपाल सिंह यादव ने सराहना की है।
लखनऊ: याद कीजिए उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार थी। मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और अखिलेश यादव ने प्रदेश में संगठन की कमान संभाल रखी थी। हर मुद्दे पर समाजवादी पार्टी आक्रामक हो गई थी। प्रदेश भर में सपा के प्रदर्शन सुर्खियां बनते थे। लखनऊ में तो कई प्रदर्शन ऐसे हुए, जिसमें पुलिस के लाठीचार्ज के बावजूद बुरी घायल, खून से लथपथ सपा कार्यकर्ता डटे दिखते थे। इन ताकतवर प्रदर्शनों का असर ये था कि अगर प्रदर्शन का ऐलान होते ही प्रशासनिक मशीनरी के हाथ पांव फूल जाते थे। इन्हें रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक दी जाती थी। विधानसभा सत्र के दौरान तो सपा कार्यालय तक सड़क को ही छावनी में तब्दील कर दिया जाता था। उसके बाद भी सपा कार्यकर्ता पुलिस काे चुनौती देकर सुरक्षा घेरा तोड़कर विधानसभा के सामने पहुंच जाते थे।
यूपी में बीजेपी सरकार काबिज हुई तो अखिलेश यादव
UP News: लेकिन 2012 में सत्ता में आने के बाद सपा अपना ये रूप खोती चली गई। पांच साल सत्ता में रहने के बाद यूपी में बीजेपी सरकार काबिज हुई तो अखिलेश यादव ज्यादातर प्रेस कांफ्रेंस या एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर ही बयान देते रहे। बहुत कम मौके आए जब सपा कार्यकर्ता सड़क पर प्रदर्शन के लिए उतरे। अब पूरी समाजवादी पार्टी भी ज्यादा एक्स पर ही वीडियो आदि के माध्यम से सरकार की नीतियों का विरोध और जनहित के मुद्दे उठाती दिखती है।
समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में खूब चर्चा
इन सबके बीच दिल्ली में आज जो हुआ, उसने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में खूब चर्चा है। सोशल मीडिया पर ऊर्जा से लबरेज कार्यकर्ता अखिलेश यादव का वीडियो शेयर कर रहे हैं। दरअसल वोट चोरी के आरोप लगाकर विपक्षी नेताओं ने सोमवार को संसद से चुनाव आयोग तक मार्च शुरू किया। इस दौरान दिल्ली पुलिस ने नेताओं को बीच रास्ते में ही रोक दिया। इस दौरान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव बैरिकेड फांद गए। अखिलेश यहां सांसदों के साथ धरने पर बैठ गए। अखिलेश के बैरिकेड फांदने का वीडियो देखते ही देखते वायरल हो गया।
UP News: अखिलेश के इस कदम की उनके चाचा और पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने प्रशंसा की। उन्होंने एक्स पर लिखा, “संघर्ष की पहचान – रुकना नहीं, टकराना है! जब हक़ की आवाज़ रोकने को बैरिकेड खड़े हों, तो समाजवादी पीछे नहीं हटते। बैरिकेड तोड़ते हैं, कूदते हैं, ललकारते हैं! आज अखिलेश यादव जी की छलांग सिर्फ़ लोहे पर नहीं थी, ये छलांग थी लोकतंत्र बचाने की कसम पर!”
UP News: प्रदर्शन के दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि चुनाव आयोग से अपील करते हैं कि कछुए की रफ्तार से ना चले, फास्ट ट्रैक कोर्ट में कम से कम फैसले हो। ताकि लोकतंत्र सुरक्षित रहे। अगर वोट का अधिकार ही छिन जाएगा तो लोकतंत्र कहां बचेगा। अखिलेश ने कहा कि हमारा चुनाव आयोग से निवेदन है कि एक डीएम को सस्पेंड कीजिए जिसने उपचुनाव में बेइमानी की है। हमने 18000 डिलीटेड वाले वोट का शपथ पत्र दिया है। जहां-जहां उपचुनाव हुए थे, उन तमाम जिलाधिकारियों को सरकार सस्पेंड कर दे।
अखिलेश यादव पहली बार कब सांसद बने थे?
यादव 2000 में हुए उपचुनाव में कन्नौज से 13वीं लोकसभा के लिए चुने गए। वे खाद्य, नागरिक आपूर्ति और सार्वजनिक वितरण समिति के सदस्य भी थे। यादव 2000 से 2001 तक आचार समिति के सदस्य रहे और 2004 में दूसरे कार्यकाल के लिए 14वीं लोकसभा के सदस्य चुने गए।
डिंपल यादव का इतिहास क्या है?
डिंपल यादव (जन्म रावत ; जन्म 15 जनवरी 1978; हिंदी उच्चारण: [ɖɪmpəl jaːd̪əʋ] एक भारतीय राजनीतिज्ञ और उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से वर्तमान सांसद हैं। वह कन्नौज से दो बार लोकसभा सदस्य रह चुकी हैं और वर्तमान में मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से दूसरी बार सांसद हैं।